Hindi Grammar

समास – हिन्दी व्याकरण

समास

समास का शाब्दिक अर्थ संक्षिप्त होता हैं, समास शब्द दो शब्दों सम् और आस के मेल से बना हैं , जिसमें सम् का अर्थ पास ओर आस का अर्थ आना या बैठना होता हैं

दो या दो से अधिक शब्दों के परस्पर मेल को समास कहते हैं

समास के प्रकार –

  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. बहुव्रीहि समास
  5. द्विगु समास
  6. द्वंद समास

अव्ययीभाव समास

पहला पद उपसर्ग

अतिरिक्तरिक्त से अलग, अलावा
अतिसारसार की अति
अतींद्रियइंद्रियों से परे
अत्यंतअंत से भी अधिक, परे
अत्यधिकअधिक से अधिक
अत्यल्पबहुत ही अल्प/अल्प की अति
अत्युत्तमउत्तम से अधिक
अनुकरणकरण (करना) के अनुसार करना
अत्याधुनिक आधुनिक से भी अधिक
अत्यावश्यक आवश्यकता से अधिक
अनुक्रमक्रमानुसार
अनुगमनगमन के पीछे गमन
अनुगंगागंगा के समीप
अनुचिंतनचिंतन के बाद चिंतन
अनुदिनदिन के बाद दिन
अनुदेशदेश (कथन) के अनुसार
अनुदानदान की तरह का दान
अनुमानअनु (पीछे अर्थात् प्रत्यक्ष के अनंतर) किया गया ज्ञान
अनुरूपजैसा रूप है वैसा
अनुसरणसरण (जाना) के बाद सरण (जाना) / नकल करना
अनुसारजैसा सार है वैसा
आकंठकंठ तक
आजन्मजन्म से
आजानुजानु (घुटने) पर्यंत (तक)
आजानुबाहुजानु (घुटने) तक बाहुएँ
आजीवनजीवन भर
आपादमस्तकमस्तक से पाद (पाँव) तक
आपानभोजनभोजन से पान तक
आपूर्ण पूर्णरूप से भरा हुआ
आबालवृद्ध बाल से वृद्ध तक
आमरण मरण तक
आरक्षण भलीभाँति रक्षण किया हुआ
आसमुद्र समुद्र पर्यंत
दुस्तर जिसको तैरना (तर) कठिन  (दुस्) हो
नियंत्रणठीक तरह यंत्रण (कंट्रोल)
नियमननियम के अनुसार करना
निमंत्रणभली प्रकार से मंत्रण
निरहंकारअहंकार से रहित
निरामिषआमिष (माँस) से रहित
निर्भयभय से रहित
निर्विकारबिना विकार के
निर्विवादबिना विवाद के
नीरंध्ररंध्र से रहित
नीरवरव (ध्वनि) से रहित
नीरसरस से रहित
नीरोगरोग से रहित
निडरबिना डर के
प्रतिक्षणहर क्षण
प्रतिघातघात के बदले घात
प्रतिदिनहर दिन
प्रतिद्वंद्वी द्वंद्व (संघर्ष) करनेवाले का विरोधी
प्रतिपलहर पल
प्रतिशतप्रत्येक शत (सैंकड़ा)
प्रतिहिंसाहिंसा के बदले हिंसा
प्रत्याघातआघात के बदले आघात
प्रत्यंगहर (प्रति) अंग
प्रत्यक्षअक्षि (आँख) के आगे
प्रत्यारोपआरोप के बदले आरोप
प्रत्याशाआशा के बदले आशा
प्रत्युत्तरउत्तर का उत्तर
प्रत्युपकारउपकार के बदले किया गया उपकार
प्रत्येकहर एक
समक्षअक्षि (आँख) के सम् (सामने)
विशुद्धविशेष (वि) रूप से शुद्ध
दरअसलअसल में (उर्दू के उपसर्ग)
दरहक़ीक़तहक़ीक़त में (उर्दू के उपसर्ग)
व्यर्थजिसका अर्थ चला गया है

पहला पद अव्यय – ( अव्यय – जिस पर लिंग वचन कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता )( जो बदलता नहीं हैं )

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अकारणबिना कारण के
अनजानेबिना जानकर
अपवित्रन पवित्र
अवैतनिकन वैतनिक
अवैधन वैध
असंभवन संभव
असाध्यन साध्य
आगुल्फटखना पर्यंत
तथागतिवैसी गति है
तथाप्रजावैसी ही प्रजा (यथा राजा तथा प्रजा)
नगण्यन गण्य
नामुमकिनन मुमकिन
नापसंदन पसंद
परोक्षअक्षि (आँख) से परे (पर: + अक्षि)
बहिर्वर्तीबाहर रहनेवाला (बहि:वर्ती)
भरपेटपेट भरकर
भरसकसक (सामर्थ्य) भर
यथाक्रमक्रम के अनुसार (जो क्रम निर्धारित है उसके अनुसार)
यथानुरूपउसी के अनुरूप
यथामतिजैसी मति (बुद्धि) है
यथायोग्यजितना योग्य है
यथार्थजैसा (वास्तव में) अर्थ है
यथाविधिजैसी विधि निर्धारित है
यथाशक्तिशक्ति के अनुसार
यथाशीघ्रजितना शीघ्र हो
यथासंभवजितना संभव हो सके (जैसासंभव हो)
यथासमयजो समय निर्धारित है
यथासाध्यजितना साधा जा सके
यथास्थानजो स्थान निर्धारित है
यथास्थितिजैसी स्थिति है
यथोचितजैसा उचित है वैसा
यावज्जीवनजब तक (यावत्) जीवन है
सकुशलकुशलता के साथ
सपत्नीकपत्नी के साथ
सपरिणामपरिणाम के सहित
सपरिवारपरिवार के साथ
सप्रमाणप्रमाण सहित
सप्रसंगप्रसंग के सहित
सबांधवबंधुओं सहित
सशक्तशक्ति के साथ
सशर्तशर्त के साथ
सहर्षहर्ष सहित
सानंदआनंद सहित
सानुजअनुज के साथ
सावधानअवधान के साथ
हररोज़प्रत्येक रोज
हरवर्षप्रत्येक वर्ष
हरसालप्रत्येक साल

दूसरा पद अव्यय

अवसरानुसारअवसर के अनुसार
इच्छानुसारइच्छा के अनुसार
कथनानुसारकथन के अनुसार
कुशलतापूर्वककुशलता के साथ
कृपापूर्वककृपा के साथ
क्रमानुसारक्रम के अनुसार
गंगापारगंगा के पार
गमनार्थगमन के अर्थ (लिए)
जीभरजी भरकर
जीवनपर्यंतजीवन (रहने) तक
जीवनभरपूरे जीवन (या जीवनपर्यंत)
दर्शनार्थदर्शन के अर्थ (लिए)
दानार्थदान के अर्थ (लिए)
दिनभरपूरे दिन
ध्यानपूर्वकध्यान के साथ
नित्यप्रतिनित्य ही
निर्देशानुसारनिर्देश के अनुसार
प्रत्यत्नपूर्वकप्रयत्न के साथ
भोजनार्थभोजन के अर्थ (लिए)
मरणोपरांतमरण के उपरांत
मृत्युपर्यंतमृत्यु तक
योग्यतानुसारयोग्यता के अनुसार
लाभार्थलाभ के अर्थ (लिए)
विवाहोपरांतविवाह के उपरांत
विवेकपूर्वकविवेक के साथ
विश्वासपूर्वकविश्वास के साथ
श्रद्धानुसारश्रद्धा के अनुसार
सरयूपारसरयू के पार
सेवोपरांतसेवा के उपरांत
सेवार्थसेवा के अर्थ (लिए)
हितार्थहित के अर्थ (लिए)

पद की आवृति

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घड़ी-घड़ीघड़ी (समय की इकाई) के बाद घड़ी
घर-घरघर के बाद घर
चेहरे-चेहरेहर चेहरे पर
दाने-दानेहर दाने पर
दिनोंदिनदिन के बाद दिन
रातोंरातरात ही रात में
साल-ब-सालएक साल के बाद दूसरे साल
हाथोंहाथहाथ ही हाथ में
आद्योपांत आदि से उपांत तक
एक-एक एक के बाद एक
एकबारगी एक बार
दुबारादो-बार
पहले-पहलसबसे पहले
साफ़-साफ़साफ के बाद साफ
मंद-मंदमंद के बाद मंद
खासमखासखास में से खास
गहमा-गहमीगह (चहल-पहल) के बाद गह
तनातनीतनने के बाद तनना
देखा-देखीदेखने के बाद देखना
चलाचलीचलने के बाद चलना
भागमभागभागने के बाद भागना
लूटमलूटलूट के बाद लूट
सुनासुनीसुनने के बाद सुनना
टालमटोलटालने के बाद टालना
सालोंसाल साल के बाद साल
काम-ही-कामएक काम के बाद दूसरा
कानोंकानएक कान के बाद दूसरे कान में
धड़ाधड़धड़ के बाद पुन:
धीरे-धीरेधीरे के बाद धीरे
बार-बार (बारंबार) बार के बाद बार
बीचों-बीचबीच के भी बीच में
कभी-न-कभी कभी में से कभी
कुछ-न-कुछ कुछ में से कुछ
कोई-न-कोई कोई में से कोई

तत्पुरुष समास

कर्म तत्पुरुष समास

कर्म के कारक-चिह्न–को के लोप होने से बनने वाले समास-

अधिकारप्राप्तअधिकार को प्राप्त
आत्मविस्मृतआत्म को विस्मृत (किया हुआ—स्वयं को भूला हुआ)
कष्टसहिष्णुकष्ट को सह लेने वाला
क्रमागतक्रम को आगत
कार्योन्मुखकार्य को उन्मुख
खड्गधरखड्ग (तलवार) को धारण करनेवाला
ख्यातिप्राप्तख्याति को प्राप्त
आदर्शोन्मुखआदर्श को उन्मुख
आपत्तिजनकआपत्ति को जन्म देनेवाला
कनपटीतोड़कनपटी को तोड़ने वाला
अधिकारप्राप्तअधिकार को प्राप्त
आत्मविस्मृतआत्म को विस्मृत (किया हुआ—स्वयं को भूला हुआ)
कष्टसहिष्णुकष्ट को सह लेने वाला
क्रमागतक्रम को आगत
कार्योन्मुखकार्य को उन्मुख
खड्गधरखड्ग (तलवार) को धारण करनेवाला
ख्यातिप्राप्तख्याति को प्राप्त
आदर्शोन्मुखआदर्श को उन्मुख
आपत्तिजनकआपत्ति को जन्म देनेवाला
कनपटीतोड़कनपटी को तोड़ने वाला
वेदज्ञवेद को जाननेवाला
व्यक्तिगतव्यक्ति को गत (गया हुआ)
गिरहकटगिरह (धोती की गाँठ) को काटनेवाला
गृहागतगृह को आगत
ग्रंथकारग्रंथ को करने (लिखने) वाला
चिड़ीमारचिड़ी को मारनेवाला
जगसुहाताजग को सुहाता
जलपिपासुजल को पीने की इच्छावाला
जातिगतजाति (व्यक्ति Personal) को गत (गया हुआ)
जेबकतराजेब को कतरने वाला
तर्कसंगततर्क को संगत
तिलकुटातिल को कूटकर बनाया हुआ
दुःखहरदुःख को हरनेवाला
दुःखददुःख को देनेवाला
नरभक्षीनरों को भक्षित (खाने) करनेवाला
फलदायीफल को देनेवाला
मनोहरमन को हरनेवाला
मरणातुरमरने को आतुर (इच्छुक)
मरणासन्नमरण को आसन्न (निकट)
यशप्राप्तयश को प्राप्त
रोगातुररोग को आतुर
रोज़गारोन्मुखरोज़गार को उन्मुख
लाभप्रदलाभ को प्रदान करनेवाला
वयप्राप्तवय (उम्र) को प्राप्त
विकासोन्मुखविकास को उन्मुख
विदेशगमनविदेश को गमन
विद्याधरविद्या को धारण करनेवाला
विद्युत्मापीविद्युत् को मापनेवाला (यंत्र)
विरोधजनकविरोध को जन्म देनेवाला
शरणागतशरण कोआगत
शक्तिदायकशक्ति को देनेवाला
शरीरव्यापीशरीर को व्यापा हुआ
शास्त्रसंगतशास्त्र को संगत
संकटापन्नसंकट को आपन्न (प्राप्त)
सर्वज्ञसर्व (सब) को जाननेवाला
सुखकरसुख को करनेवाला
सुखदायीसुख को देनेवाला
सुखप्राप्तसुख को प्राप्त
स्याहीचूसस्याही को चूसनेवाला
स्वर्गप्राप्तस्वर्ग को प्राप्त
हस्तगतहस्त को गत (गया हुआ)
हासोन्मुखहास को उन्मुख

करण तत्पुरुष समास

कारक चिन्ह से, के द्वारा का लोप

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अश्रुपूर्णअश्रु से पूर्ण
आँखों-देखीआँखों द्वारा देखी हुई
आनंदमयआनंद से मय (युक्त)
ईश्वरदत्तईश्वर द्वारा दत्त (दिया हुआ)
कपड़-छानकपड़े से छाना हुआ
कष्टसाध्यकष्ट से साध्य (साधने योग्य)
कार्ययुक्तकार्य से युक्त
क्रियान्वितिक्रिया के द्वारा अन्विति (संपन्न करना)
अधिकारोन्मत्तअधिकार से उन्मत्त (घमंड में)
अनुभवसिद्धअधिकार से उन्मत्त (घमंड में)
अभावग्रस्तअभाव से ग्रस्त
क्षुधातुरक्षुधा (भूख) से आतुर(बेचैन)
गुणयुक्तगुण से युक्त
घृतमिश्रितघृत से मिश्रित
मनःपूतमन से पूत (पवित्र)
मनचाहामन से चाहा हुआ
मुँहमाँगामुँह से माँगा हुआ
चिंताव्याकुलचिंता से व्याकुल
जग-हँसाईजग के द्वारा हँसाई
अकालपीड़ितअकाल से पीड़ित
जलावृतजल से आवृत (घिरा हुआ)
तर्कसिद्धतर्क द्वारा सिद्ध
तारोंभरीतारों से भरी हुई (रात)
तुलसीकृततुलसी(दास) द्वारा कृत
तुलादानतुला से बराबर करके दिया जानेवाला दान
दयार्द्रदया से आर्द्र (नम)
दस्तकारीदस्त (हाथ) से किया गयाकार्य
दुःखभरीदुःख से भरी हुई
दुग्धनिर्मितदुग्ध से निर्मित
देवविरचितदेव द्वारा विरचित
दोषपूर्णदोष से पूर्ण
धर्मयुक्तधर्म से युक्त
धर्मांधधर्म से (धार्मिक संकीर्णता के कारण) अंधा
नरकभयनरक से (के कारण) भय
नियमबद्धनियम से आबद्ध
पंतप्रणीतपंत द्वारा प्रणीत (रचित)
पदयात्रापद (पाँव) से की जाने वाली यात्रा
पदाक्रांतपद (पाँव) से आक्रांत (कुचला हुआ)
परोपजीवीपर (अन्य) के सहारे से जीवी (जीवित रहनेवाला)
पवनचक्कीपवन से चलनेवाली चक्की
प्रकाशयुक्तप्रकाश से युक्त
प्रतीक्षातुरप्रतीक्षा से आतुर (व्याकुल)
प्रमाणसिद्धप्रमाण से सिद्ध
प्रश्नाकुलप्रश्न से आकुल (बेचैन)
प्रेमोन्मत्तप्रेम से उन्मत्त
बैलगाड़ीबैल से चलनेवाली गाड़ी
बोधगम्यबोध के द्वारा गम्य (जानने योग्य)
बिहारीरचितबिहारी द्वारा रचित
फलाच्छादितफलों से आच्छादित
भड़भूंजाभाड द्वारा भूननेवाला
भयभीतभय से भीत (डरा हुआ)
भयाक्रांतभय से आक्रांत (पीड़ित)
भावाभिभूतभाव से अभिभूत (इला हुआ)
भावाविष्टभाव से आविष्ट (घिरा हुआ)
भुखमराभूख से मरनेवाला
मदमाता, मदमत्त मद (घमंड) से मत्त, मद से मत्त हुआ
मदांधमद (घमंड के कारण) से अंधा
मनगढ़ंतमन से गढ़ा हुआ
मनमानी, मनमाना मन से मानी (हुई) मन से माना हुआ
महिमामंडितमहिमा से मंडित
मीनाकारीमीना (एक रंगीन द्रव्य) से किया गया कार्य
मेघाच्छन्नमेघ से आच्छन्न (ढका हुआ)
मोहांधमोह से (के कारण) अंधा
मोहाभिभूतमोह से अभिभूत (हूबा हुआ)
युक्तियुक्तयुक्ति (तर्क) से युक्त
रत्नजड़ितरत्न से जड़ित
रससिक्तरस से सिक्त
रेखांकितरेखा के द्वारा अंकित
रेल यात्रारेल द्वारा यात्रा
स्वचिंतनस्वयं द्वारा चिंतन
रोगपीड़ितरोग से पीड़ित
लताच्छादितलता से आच्छादित
लोकसेव्यलोक द्वारा सेव्य (सेवा योग्य)
वचनबद्धवचन से बद्ध
वाग्युद्धवाक् द्वारा युद्ध (जबानी लड़ाई)
शल्यचिकित्सा शल्य दूद्वारा चिकित्सा
शरबिद्धशर (बाण) से बिद्ध ( बींधा हुआ )
विधिनिर्मितविधि द्वारा निर्मित
शोकाकुलशोक से आकुल (बेचैन)
श्रमजीवीश्रम से जीवित रहनेवाला
श्रमसाध्यश्रम से साध्य
सूचिभेद्यसूचि (सूई) द्वारा भेट्य (भेदा जा सके)
स्नेहाविष्टस्नेह से आविष्ट
स्वयंसिद्धस्वयं से सिद्ध
स्वर्णहारस्वर्ण से बना हार
हस्तलिखितहस्त द्वारा लिखित
हाथकरघाहाथों से चलनेवाला करघा
हिमाच्छादितहिम से आच्छादित
स्वार्थाधस्वार्थ से अंधा
शिरोधार्यशिर से धारण करने योग्य

संप्रदान तत्पुरुष –

संप्रदान के कारक-चिह्न–के लिए

आरामकुर्सीआराम के लिए कुर्सी
आवेदन-पत्रआवेदन के लिए पत्र
कर्णफूलकर्ण के लिए फूल
काकबलिकाक (कौआ) के लिए बलि
कारागृहकारा (सीमा रेखा) में रहने के लिए गृह
कुष्ठाश्रमकुष्ठों के लिए आश्रम
कृषिभवनकृषि संबंधी कार्य के लिए भवन
गुरुदक्षिणागुरु के लिए दक्षिणा
गृहस्थाश्रमगृहस्थों के लिए आश्रम
गोशालागो के लिए शाला (भवन)
घरखर्चघर के लिए खर्च
घुड़सालघोड़ों के लिए साल (शाला)
मँहगाई-भत्तामँहगाई के लिए भत्ता
मच्छरदानीमच्छर रोकने के लिए दानी (उपकरण)
मसालदानीमसाला रखने के लिए दानी
चूहेदानीचूहे पकड़ने के लिए दानी
छात्रावासछात्रों/छात्राओं के लिए आवास
जनहितजन के लिए हित
ठकुरसुहातीठाकुर (के लिए) सुहाती
देवार्पणदेव के लिए अर्पण
देवालयदेव के लिए आलय (स्थान)
देशभक्तिदेश के लिए भक्ति
धर्मशालाधर्म के लिए शाला
नाट्यशालानाट्य के लिए शाला (स्थान)
न्यायालयन्याय के लिए आलय (स्थान)
परीक्षाभवनपरीक्षा के लिए भवन
पाठशालापाठ (पढ़ना) के लिए शाला
पुत्रशोकपुत्र के लिए शोक
पौधशालापौधों (तैयार करना) के लिए शाला
प्रौदशिक्षाप्रौदों के लिए शिक्षा
बलिपशुबलि के लिए पशु (परंतु पशुबलि-पशु की बलि, संबंध तत्पुरुष)
भंडारघरभंडार के लिए घर
भूतबलिभूत के लिए बलि (भेंट)
भ्रातृशोकभ्रातृ के लिए शोक
मार्गव्ययमार्ग के लिए व्यय
मालगाड़ीमाल ढोने के लिए गाड़ी
मालगोदाममाल के लिए गोदाम
मेजपोशमेज़ के लिए पोश
यज्ञवेदीयज्ञ के लिए वेदी
यज्ञशालायज्ञ के लिए शाला
युववाणीयुवाओं के लिए वाणी
रंगमंचरंग (नाट्य कला) के लिए मंच
रणक्षेत्ररण के लिए क्षेत्र
रणभूमिरण के लिए भूमि
रनिवासरानियों के लिए वास
रसायनशालारसायन के लिए शाला
रसोईघररसोई के लिए घर
रेलभाड़ारेल के लिए भाड़ा
रोकड़बहीरोकड़ के लिए बही
विद्यालयविद्या के लिए आलय
विद्युत्गृहविद्युत् के लिए गृह
सभाभवनसभा के लिए भवन
सभामंडपसभा के लिए मंडप
समाचार-पत्रसमाचार के लिए पत्र
स्नानागारस्नान के लिए आगार
स्नानाघरस्नान के लिए घर
हथकड़ीहाथ के लिए कड़ी
हवनकुंडहवन के लिए कुंड


अपादान तत्पुरुष

अपादान कारक चिह्न-से (अलग होने के अर्थ में) के लोप से बननेवाले समास –

अवसरवंचित अवसर से वंचित
आकाशपतित आकाश से पतित (गिरा हुआ)
आशातीत आशा से अतीत (अधिक)
इंद्रियातीत इंद्रियों से अतीत (जन्म के समय से अब तक की दूरी)
ईसापूर्व ईसा से पूर्व
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
कर्तव्यविमुख कर्तव्य से विमुख (अलग)
कर्मभिन्न कर्म से भिन्न
कामचोर काम से जी (मन) चुरानेवाला
कार्यमुक्त कार्य से मुक्त
कालातीत काल से अतीत (परे)
क्रमागत क्रम से आगत
गुणरहित गुण से रहित
गर्वशून्य गर्व से शून्य
गुणातीत गुणों से अतीत (परे)
जन्मांघ जन्म से अंधा (जन्म के समय से)
जन्मरोगीजन्म से रोगी
जन्मोत्तरजन्म से उत्तर (बाद)
जलरिक्तजल से रिक्त (खाली)
जलोत्पन्नजल से उत्पन्न
जातबाहरजाति से बाहर
जाति-बहिष्कृतजाति से बहिष्कृत
जातिभ्रष्टजाति से भ्रष्ट (अलग किया हुआ)
त्रुटिहीनत्रुटि से हीन
दिग्भ्रांतदिक् (दिशा) से भ्रांत (भटका हुआ)
दूरागतदूर से आगत (आया हुआ)
देशनिकालादेश से निकाला
देशनिष्कासनदेश से निष्कासन
दोषमुक्तदोष से मुक्त
धर्मविमुखधर्म से विमुख
धर्मविरतधर्म से विरत (दूर हुआ)
नेत्रहीननेत्रों से हीन
पदच्युतपद से च्युत (रहित)
पदमुक्तपद से मुक्त
पापमुक्तपाप से मुक्त
बंधनमुक्तबंधन से मुक्त
बहिरागतबाहर से आगत
भाग्यहीनभाग्य से हीन
राजद्रोहराजा या राज्य से द्रोह
राजबहिष्कृतराज्य से बहिष्कृत
रोजगारवंचितरोज़गार से वंचित
लक्ष्यभ्रष्टलक्ष्य से भ्रष्ट
लाभरहितलाभ से रहित
लोकभयलोक से भय
लोकेतरलोक से इतर (अलावा)
लोकोत्तरलोक से उत्तर (परे)
वर्णनातीतवर्णन से अतीत (परे)
विवाहेतरविवाह से इतर (अलावा)
वीरविहीनवीर से विहीन ( रहित )
शब्दातीतशब्द से अतीत (परे)
शोभाहीनशोभा से हीन
सेवानिवृत्तसेवा से निवृत्त
स्नातकोत्तरस्नातक (बी.ए.) से उत्तर (बाद का) अर्थात् अधिस्नातक
स्वर्गपतितस्वर्ग से पतित
हतश्रीश्री (शोभा, ऐश्वर्य, संपत्ति) से हत (रहित)

संबंध तत्पुरुष

संबंध कारक चिह्न–का, के, की के लोप से बननेवाले समास-

अछूतोद्धारअछूतों का उद्धार
अनारदानाअनार का दाना
अमचूरआम का चूरा (चूर्ण)
आत्महत्याआत्म (स्वयं) की हत्या
आत्मज्ञानआत्म (स्वयं) का ज्ञान
उल्कापातउल्का (तारा) का पात (गिरना)
ऋषिकन्याऋषि की कन्या
करोड़पतिकरोड़ रुपयों का पति
कर्मयोगकर्म का योग
कान-बिंधाईकान बींधने की मज़दूरी
कार्यकर्ताकार्य का कर्ता
कार्यभारकार्य का भार
खलनायकखलों का नायक
गंगाजलगंगा का जल
गुरुभाईएक ही गुरु से पढ़ा हुआ शिष्य या गुरु का पुत्र
गृहपतिगृह का पति
गोदानगो का दान (प्रेमचंद के ‘गोदान’ उपन्यास के नाम के रूप में बहुव्रीहि समास भी)
गोमुखगो का मुख (गाय पशु का मुख) (ii) गाय के जैसे मुखवाली आकृति – (कर्मधारय )  
गोहत्यागो की हत्या
ग्रंथावलीग्रंथों की अवली (संग्रह)
ग्रामोत्थानग्राम का उत्थान
घसखुदाईघास की खुदाई (की मज़दूरी)
घुड़दौड़घोड़ों की दौड़
चंद्रप्रकाशचंद्र का प्रकाश
चंद्रोदयचंद्र का उदय
चरित्रहननचरित्र का हनन
चर्मकारचर्म का काम करनेवाला
चर्मरोगचर्म का रोग
जमींदारज़मीन का दार (मालिक)
जलधाराजल की धारा
जलराशिजल की राशि
जलाशयजल का आशय (स्थान)
ठेकेदारठेके का दार (जिम्मेदार, प्रभारी)
दयानिधिदया का निधि
दीपशिखादीप की शिखा (लौ)
दुःखसागरदुःख का सागर
देशभक्तदेश का भक्त
नगरसेठनगर का सेठ
नरबलिनर की बलि
नियमावलीनियमों की अवली (सूची)
पत्रोत्तरपत्र का उत्तर
पथपरिवहनपथ का परिवहन
पशुबलिपशु की बलि
पुष्पांजलिपुष्पों की अंजलि (कर-संपुट)
प्रजातंत्रप्रजा का तंत्र
प्रश्नोत्तरप्रश्न का उत्तर
प्राणदानप्राणों का दान
प्रेमोपहारप्रेम का उपहार
फुलवाड़ीफूलों की वाड़ी (वाटिका)
भूकंपभू का कंप
मंत्रिपरिषद्मंत्रियों की परिषद्
मतदातामत का दाता
मनःस्थितिमन की स्थिति
मनोविकारमन का विकार
मृत्युदंडमृत्यु का दंड
यदुवंशयदु (यादवों) का वंश
रंगभेदरंग का भेद
रक्तदानरक्त का दान
रक्तवर्धकरक्त का वर्धन करने वाला
रक्तशोधकरक्त का शोधन करने वाला
रामनामराम का नाम
राजकुमारराजा का कुमार
राजदूतराज्य का दूत
राजभाषाराज्य की भाषा
राजमाताराजा की माता
राजयोगराजा बनने का योग
राजसभाराजा की सभा
रामचरितराम का चरित (चरित्र)
रूपांतररूप का अंतर (परिवर्तन)
रोगीचर्यारोगी की चर्या (गतिविधि)
लखपतिलाख (रु.) का पति (मालिक)
लोकनायकलोक का नायक ( जयप्रकाश नारायण के संदर्भ में हो तो बहुव्रीहि समास भी )
विद्यार्थीविद्या का अर्थी (इच्छुक)
विश्वासपात्रविश्वास का पात्र
विषयांतरविषय का अंतर (बदलना)
शब्दकोशशब्दों का कोश (संग्रह)
शांतिदूतशांति का दूत
सत्रावसानसत्र का अवसान
संसत्सदस्यसंसद् का सदस्य
सूर्यास्तसूर्य का अस्त (होना )
सूर्योदयसूर्य का उदय
सोमवारसोम (चंद्र) का वार
शासनपद्धतिशासन की पद्धति
शास्त्रानुकूलशास्त्र के अनुकूल
स्वर्णकारस्वर्ण का काम करनेवाला
सौरमंडलसौर (सूर्य) का मंडल
हस्तलाघवहस्त का लाघव (सफाई)
हुक्मनामाहुक्म का नामा (प्रपत्र)

अधिकरण तत्पुरुष

अधिकरण कारक चिह्न–में, पर के  लोप होने से बननेवाले समास –

अश्वारूढ़अश्व पर आरूढ़
आत्मकेंद्रितआत्म पर केंद्रित
आत्मनिर्भरआत्म पर निर्भर
आत्मविश्वासआत्म पर विश्वास
आपबीतीअपने पर बीती हुई
ईश्वराधीनईश्वर पर अधीन (टिका हुआ,)
कर्तव्यनिष्ठकर्तव्य में निष्ठ
कर्तव्यपरायणकर्तव्य में परायण
कर्मनिष्ठकर्म में निष्ठ (निष्ठावान )
कर्मरतकर्म में रत (जुटा हुआ)
कर्माधीनकर्म पर अधीन (निर्भर)
कलानिपुणकला में निपुण
कानाफूसीकान में फुसफुसाहट
कार्यकुशलकार्य में कुशल
काव्यनिपुणकाव्य में निपुण
गंगास्नानगंगा में स्नान
गृहप्रवेशगृह में प्रवेश
ग्रामवासीग्राम में वास करनेवाला
घुड़सवारघोड़े पर (होनेवाला) सवार
जगबीतीजग पर बीती हुई
जलकौआजल में रहनेवाला कौआ
जलचरजल में विचरण करनेवाला
जलपोतजल पर चलनेवाला पोत (वाहन)
जलमग्नजल में मग्न
जलयानजल पर चलनेवाला यान (वाहन)
जेबघड़ीजेब में रहनेवाली घड़ी
डिब्बाबंदडिब्बे में बंद
तर्ककुशलतर्क में कुशल
तल्लीनतद् (उस) में लीन
तीर्थाटनतीर्थों में अटन (यात्रा)
दानवीरदान (देने) में वीर
देवाश्रितदेव पर आश्रित
देशवासीदेश में वास करनेवाला
देशाटनदेश में अटन (भ्रमण)
धर्मपरायणधर्म में परायण
धर्मप्रवृत्तधर्म में प्रवृत्त (लीन)
धर्मरत/निरतधर्म में रत/निरत (अच्छी तरह रत)
ध्यानमग्नध्यान में मग्न
नभचरनभ में विचरण करनेवाला
नरोत्तमनरों में उत्तम
नीतिनिपुणनीति में निपुण
पदारूढ़पद पर आरूढ़ (आसीन)
पनडुब्बीपानी में डूब कर चलने वाला पोत
पर्वतारोहणपर्वत पर आरोहण
पुरुषसिंहपुरुषों में सिंह
भगवल्लीनभगवत् में लीन
मध्यांतरमध्य में अंतर (विराम)
मनमौजीमन में मौजी (मन का मौजी- अशुद्ध)
मृत्युंजयमृत्यु पर जय
युद्धतत्परयुद्ध (करने) में तत्पर (तैयार) युद्ध
योगसिद्धयोग में सिद्ध
रणवीररण में वीर
रससिद्धरस में सिद्ध
रेलगाड़ीरेल (पटरी) पर चलनेवाली गाड़ी
लोकप्रियलोक में प्रिय
वनमानुषवन में रहनेवाला मानुष
वनवासवन में वास
वाक्चातुर्यवाक् में चातुर्य
वाक्पटुवाक् में पटु (बोलने में कुशल)
वाग्वीरवाक् (बोलने) में वीर
विषयरतविषय (भोग की वस्तुएं) में रत
व्यवहारकुशलव्यवहार में कुशल
सभापंडितसभा में पंडित
सर्वव्याप्तसर्व में व्याप्त
सर्वसाधारणसर्व में साधारण
सर्वोत्तमसर्व में उत्तम
सिरदर्दसिर में दर्द (परेशानी के अर्थ में बहुव्रीहि समास होता है)
स्वर्गवासस्वर्ग में वास
स्वकेंद्रितस्व (स्वयं) पर केंद्रित
हरफनमौलाहर फ़न (कला) में मौला (कुशल)

कर्मधारय समास

इसमें एक पद मुख्य होता हैं, विशेष होता हैं तथा दूसरा पद विशेषण के द्वारा या उपमेयउपमान के द्वारा उसकी किसी किसी रूप में विशेषता बताता हैं

कर्म अर्थात गुण को धारण करने वाला

विशेषणविशेष्य सम्बंध

अल्पसंख्यकअल्प हैं जो संख्या में
अंधभक्तअंधा है जो भक्त
अंधविश्वासअंधा है जो विश्वास
अकालमृत्युअकाल (असमय) में होती है जो मृत्यु
अधमराआधा है जो मरा हुआ
अधिकार्थअधिक है जिसका अर्थ
अपराहणअपर (बाद) वाला है जो अहन्
अल्पाहारअल्प है जो आहार
अल्पेच्छअल्प है जिसकी इच्छा
अस्ताचलअस्त होता है (सूर्य) जिस अचल (पहाड़) के पीछे
आदिप्रवर्तकपहला प्रवर्तक
उच्चायोगउच्च है जो आयोग
उड़नखटोलाउड़ता है जो खटोला
उड़नतस्तरीउड़ती है जो तश्तरी
उत्तरार्धउत्तर वाला है जो अर्ध
उदयाचलउदय होता है (सूर्य) जिस अचल (पहाड़ के पीछे) से
ऊनार्थकऊन (कम) है जिसका अर्थ
एकाग्रचित्तएकाग्र है जिसका चित्त
कच्चामालकच्चा है जो माल
कदाचारकद (कुत्सित) है जो आचार
कमतोलकम तोलता है जो वह
कापुरुषकायर है जो पुरुष
कालीमिर्चकाली है जो मिर्च
कृतार्थकृत (पूर्ण) हो गया है जिसका अर्थ (उद्देश्य )
कृष्णांगीकृष्ण हैं जिसके अंग
गतांकगत (पिछला) है जो अंक
चरमसीमाचरम तक पहुँची है जो सीमा
चरितार्थचरित (क्रियान्वित) हो गया है जो अर्थ
जवाँमर्दजवान है जो मर्द
तीव्रबुद्धितीव्र है जिसकी बुद्धि
दीर्घायुदीर्घ है जिसकी आयु
दृढ़प्रतिज्ञदृढ़ है जिसकी प्रतिज्ञा
स्मृतिभ्रष्टस्मृति है भ्रष्ट जिसकी
नवजातनव (नया) जो जन्मा है
नवयुवकनव है जो युवक
नवागंतुकनव है जो आगंतुक
नष्टबीजनष्ट हो गया है जिसका बीज
निर्देशकअच्छी तरह से निर्देश देनेवाला (निर् यहाँ विशेषण की तरह काम करता है।)
नीलकमलनीला (गुणवाचक विशेषण) है जो कमल (विशेष्य)
नीलोत्पलनीला है जो उत्पल (कमल)
न्यूनार्थकन्यून है जिसका अर्थ
पकौड़ीपकी हुई है जो बड़ी
परकटापर (पंख) हैं जिसके कटे हुए
परमाणुपरम है जो अणु
पर्णकुटीपर्ण से बनी है जो कुटी (यहाँ पर्ण (घास) कुटी की विशेषता बता रहा है – करण तत्पुरुष नहीं)
पिछवाड़ापीछे है जो वाड़ा
पूर्णकामपूर्ण हो गई हैं जिसकी कामनाएँ वह
पूर्णांकपूर्ण है जो अंक
पूर्वाधपूर्ववाला है जो अर्ध
पूर्वाह्नपूर्ववाला है जो अहन् (दिन)
प्रभुदयालदयालु है जो प्रभु
प्राप्तकामप्राप्त हो गई हैं जिसकी कामनाएँ
बड़भागीबड़ा है जिसका भाग्य
बहुमूल्यबहुत है जिसका मूल्य
बहुसंख्यकबहुत है जिनकी संख्या
बहुद्देशीयबहुत हैं जिसके उद्देश्य
भग्नदंतभग्न (टूटना) हो गया है जिसका दंत
भग्नमनोरथभग्न हुए हैं जिसके मनोरथ
भलामानसभला है जो मानस
भीमाकायभीम (बड़ा) है जिसका आकाय (शरीर)
भीष्मवतभीष्म की तरह है जो
भ्रष्टाचारभ्रष्ट है जो आचार
मंदबुद्धिमंद है जिसकी बुद्धि
मंदाग्निमंद है जो अग्नि
मध्याह्नमध्यवाला है जो अहन्
महर्षिमहान् (न का लोप) है जो ऋषि
महात्मामहान् (न का लोप) है जो आत्मा
महापुरुषमहान् (न का लोप) है जो पुरुष
महाप्रज्ञमहान् (न का लोप) है जिसकी प्रज्ञा
महाराजामहान् (न का लोप) है जो राजा
महासागरमहान् (न का लोप) है जो सागर
रक्तलोचनरक्त (लाल) है जो लोचन
लब्धकामलब्ध (पूर्ण) हो गई हैं जिसकी कामनाएँ
विशालकायविशाल है जिसका आकाय (आकार)
विशालबाहुविशाल है जिसकी बाहुएँ
वीतकामवीत (समाप्त) हो गई हैं जिसकी कामनाएँ
वीरबालावीर है जो बाला
व्यंग्यार्थव्यंग्पूर्ण है जो अर्थ
शक्तिवर्धकवर्धक है जो शक्ति का
शिष्टाचारशिष्ट है जो आचार
शुभागमनशुभ है जो आगमन
सज्जनसत् है जो जन
सत्परामर्शसत् है जो परामर्श
सत्यप्रतिज्ञसत्य है जिसकी प्रतिज्ञा
सद्धर्मसत् है जो धर्म
सद्बुद्धिसत् है जो बुद्धि
सद्भावनासत् है जो भावना
हताशहत है जिसकी आशा
हीनार्थहीन है जिसका अर्थ (असफल)

संज्ञा से कर्मधारय समास

अश्रुगैसअश्रु को लाती है जो गैस
आम्रवृक्षआम्र जो वृक्ष है (यहाँ आम्र वृक्ष का प्रकार अर्थात् विशेषण बता रहा है)
कर्णफूलकर्ण में पहना जाता है जो फूल
कुमारगंधर्वकुमार है जो गंधर्व
गुड़धानीगुड़ से मिली हुई धानी
चूड़ामणिचूड़ा (सर) में पहनी जाती है जो मणि
जलकुंभीजल में उत्पन्न होती है जो कुंभी
दहीबड़ादही में डूबा है जो बड़ा
पनडुब्बीपानी में डूबकर चलता है जो यान
पनबिजलीपानी से बनती है जो बिजली
पर्णकुटीपर्ण से बनी है जो कुटी (यहाँ पर्ण (घास) कुटी की विशेषता बता रहा है।
पर्णशालापर्ण से बनी है जो शाला
पवनचक्कीपवन से चलती है जो चक्की
पुच्छलतारापूँछ है जिस तारे के वह
मधुमक्खीमधु एकत्र करती है जो मक्खी (मधु संज्ञा पद यहाँ मक्खी के प्रकार को बताने के लिए विशेषण की तरह है।)
युवराजयुवक जो राजा होनेवाला है
वायुयानवायु में चलता है जो यान
शकरपाराशक्कर से बना हुआ है जो पारा
संशयात्मासंशय से ग्रस्त है जो आत्मा
हथकड़ीहाथ में लगाई जाती है जो कड़ी
हथकरघाहाथ से चलता है जो करघा ।
हथगोलाहाथ से फेंका जाता है जो गोला

विशेषण – विशेषण – कर्मधारय

कालास्याहजो काला है जो स्याह है (दोनों के गुणों से युक्त)
खटमिट्ठाजो खट्टा है जो मीठा है
गोरा-गट्टजो गोरा है जो गट्ट है।
घनघोरजो घना है जो घोर है (वर्षा)
मोटाताज़ाजो मोटा है जो ताज़ा है
देवर्षिजो देव है जो ऋषि (नारद के लिए भी)
धनीमानीजो धनी है जो मानी
नीललोहितजो नीला है जो लोहित है
पढ़ा-लिखाजो पढ़ा हुआ है जो लिखा हुआ है (लिखना जानता है)
पीलाज़र्दजो पीला है जो ज़र्द (पीला) है
भूखा-प्यासाजो भूखा है जो प्यासा है
राजर्षिजो राजा है जो ऋषि है
लाल-सुर्ख़जो लाल है जो सुर्ख़ (लाल) है (अत्यंत लाल)
लालमलालजो लाल है और लाल है
शीतोष्णजो शीत है जो उष्ण है (शरीर के ताप का)
सफ़ेद झक्कजो सफ़ेद है जो झक्क (सफेद) है।
सीधा-सट्टजो सीधा है जो सट्ट है।
सीधासादाजो सीधा है जो सादा है।
हराभराजो हरा है जो भरा है।
हरासघनजो हरा है जो सघन है (खेत)
हृष्टपुष्टजो हृष्ट है जो पुष्ट है

विशेष्य – विशेषण – कर्मधारय

ऋषिराजऋषियों में राजा (श्रेष्ठ)
कविपुंगवकवियों में पुंगव (श्रेष्ठ)
कविराजकवियों में राजा (श्रेष्ठ)
कविवरकवियों में वर (श्रेष्ठ)
कविशिरोमणिकवियों में शिरोमणि
मुनिवरमुनि है जो वर (श्रेष्ठ)
नरश्रेष्ठनरों में श्रेष्ठ
नराधमनरों में अधम (नीच)
पुरुषोत्तमपुरुषों में उत्तम
प्राणाप्रियप्रिय है जो प्राणों को
मुनिश्रेष्ठमुनियों में है जो श्रेष्ठ
मित्रवरमित्र है जो वर

उपमान – उपमेय – कर्मधारय

कमलनयनकमल के समान नयन
कमलाक्षकमल के समान अक्षि (आँखें)
कुसुमकोमलकुसुम के समान कोमल
मीनाक्षीमीन के समान अक्षिवाली
चंद्रमुखचंद्र के समान मुख
चंद्रमुखीचंद्र के समान मुखवाली
चंद्रवदनचंद्र के समान वदन (मुँख)
तुषारधवलतुषार (बर्फ) के समान धवल
पद्मपाणिपद्म (कमल) के समान पाणि (हाथ)
पाषाणहृदयपाषाण (पत्थर) के समान हृदय
मृगनयनीमृग के (नयनों के) समान नयनों वाली
राजीवलोचनराजीव (कमल) के समान लोचन
वज्रहृदयवज्र के समान हृदय
विद्युच्चंचलाविद्युत् के समान चंचल
सिंधुहृदयसिंधु के समान हृदय

रूपक – कर्मधारय

अधर-पल्लवअधर (होंठ) रूपी पल्लव (कोंपल)
कर-कमलकर रूपी कमल
कीर्तिलताकीर्ति रूपी लता
क्रोधाग्निक्रोध रूपी अग्नि
चरण-कमलचरण रूपी कमल
चरणारविंदचरण रूपी अरविंद (कमल)
देह-लतादेह रूपी लता
नर-शार्दूलनर रूपी शार्दूल (शेर)
नरसिंहनर रूपी सिंह
भवसागरभव रूपी सागर
भुज-दंडभुजा रूपी दंड (डंडा)
मुखारविंदमुख रूपी अरविंद (कमल)
वचनामृतवचन रूपी अमृत
विद्याधनविद्या रूपी धन
संसार-सागरसंसार रूपी सागर
स्त्रीरत्नस्त्री रूपी रत्न
हस्तारविंदहस्त रूपी अरविंद

बहुव्रीहि समास

समास विग्रह करने पर तीसरा अर्थ निकलता हैं

अद्वितीयद्वितीय न हो जिसके समान–निराला, अद्भुत
अनाप – शनापबिना नापे हुए (अनाप) (शनाप का कोई अर्थ नहीं होता) –बेतुकी, निरर्थक बातें
अनुकूलकूल (किनारे) की ओर सहयोगी, समर्थक
अनुचरजो चलनेवाले के पीछे चले सेवक
अनुमतिमति (बुद्धि) के अनुसार—आज्ञा (मुझे बाहर जाने की अनुमति चाहिए।)
अमृतधाराअमृत धारा-एक दवा विशेष
अरण्यरोदनअरण्य (जंगल) में रोदन (रोना)–असंबद्ध लोगों के सामने प्रकट किया जानेवाला दुःख
अव्ययजिसका व्यय न हो — अपरिवर्तनकारी शब्दों की एक वैयाकरणिक कोटि आगे और पीछे सब ओर की परिस्थिति पर विचार (करना)
आनाकानीना करना टालमटोल करना।
उधेड़-बुनउधेड़ना और बुनना — उलझन, सोच-विचार
करुणासागरकरुणा का सागर – बहुत दयालु
कलमुँहाकाला है मुँह जिसका – लांछित व्यक्ति
कहा-सुनीकहना और सुनना–जबानी झगड़ा
कूपमंडूककूप (कुआँ) का मंडूक (मेंढ़क) —सीमित ज्ञानवाला
खगेशखगों का ईश – गरुड़
खड़ीबोलीखड़ी है जो बोली—हिंदी भाषा की एक बोली का नाम/हिंदी के मानक रूप का नाम भी
गई- बीतीगई हुई, बीती हुई— बिल्कुल निम्न कोटि की
गगनचुंबीगगन को चूमनेवाला—बहुत ऊँचा (गगन को चूमा ही नहीं जा सकता)
गया – गुज़राजो गया हुआ है, जो गुज़रा हुआ है — निम्न कोटि का
गुरुमुखीगुरु के मुख से निकली हुई – पंजाबी लिपि का नाम
घरफूँकघर को फूंकनेवाला – घर का नुकसान करनेवाला
घुटने टेकघुटने टेक देनेवाला — दूसरे के सामने झुक जाने/समर्पित हो जानेवाला व्यवहार (नीति)
चक्षुश्रवाचक्षु से श्रवण – कार्य करनेवाला—साँप (साँप सुन ही नहीं सकता)
चंद्रचूड़चंद्र है चूड़ (सिर) पर जिनके – शिव
चंद्रमौलिचंद्र है मौलि (मस्तक) पर जिनके– शिव
चितचोरचित्त को चुरानेवाला — आकर्षक प्रेमी
छुई-मुईछूने पर कुम्हला जानेवाली— बहुत नाजुक, सामान्य-सी बात से दुष्प्रभावित होनेवाली
छुटभैयाछोटा है जो भैया—किसी बड़े नेता से जुड़ा हुआ छोटा नेता
जमघटजमा है घट (पनघट पर पानी के लिए घड़े एकत्र होना) –भीड़ (कहीं पर भी)
जला- भूनाजला हुआ और भुना हुआ— ईर्ष्यालु, नाराज़
जितेंद्रियजीती हैं जिसने इंद्रियाँ–कामना रहित
ज्ञानवृद्धज्ञान से वृद्ध है जो– विद्वान्
टूटा-फूटाटूटा हुआ और फूटा हुआ – थोड़ा दोषपूर्ण भी
तटस्थतट पर स्थित है जो– निष्पक्ष, उदासीन (किसी नदी के तट पर स्थित नहीं )
तिलांजलितिलों की अंजलि (कर संपुट) त्याग देना (मृतात्मा को तिल देकर उनसे मुक्त होने की कामना करना)
दिगंबरदिशाएँ हैं अंबर (वस्त्र) जिनकी-शिव, जैन धर्म का एक संप्रदाय विशेष,
दिलतोड़दिल को तोड़नेवाला-निर्मम, संवेदनहीन
दीनानाथदीनों का नाथ-ईश्वर
दुधमुँहादूध है मुँह में जिसके—छोटा बालक
दुर्भिक्षभिक्षा मिलना कठिन हो गया हो, ऐसी स्थिति—अकाल
दृष्टिकोणदृष्टि का कोण—(देखने का नहीं) विचार करने का एक तरीका, (दिशा) विशेष
दोगलादो गले हैं जिसके–अपनी बात पर न टिकनेवाला
धनंजयधन (पृथ्वी, भौतिक संपदा आदि) का जय करनेवाला— अर्जुन
नकचढ़ानाक चढ़ानेवाला—नखरे करनेवाला
नकटानाक है कटा हुआ जिसका — बेशर्म (नकटे का नाक साबुत रहता है)
नामजन्मानाभि से जन्मे हैं जो – ब्रह्मा
निगोड़ाबिना गोड़ (पैर) के – निराश्रित (नापसंदसूचक गाली भी)
निर्जनजो स्थान जन से रहित है — सुनसान
निर्निमेषबिना निमेष (पलक) झपकाए हुए– लगातार
निर्मलमलरहित है जो — स्वच्छ
निष्कंटकनहीं है कंटक जिसके – बिना कठिनाइयों के
पंचाननपंच आनन (मुँह) हैं जिनके – शिव
पददलितपद (पाँवों) द्वारा दलित – समाज का शोषित वर्ग
पद्मनाभपद्म (कमल) है जिनकी नाभि में – विष्णु
परलोकगमनपर (अन्य) लोक में गमन — मृत्यु
प्रज्ञाचक्षुप्रज्ञा के हैं चक्षु जिसके – चक्षुहीन, अंधा
प्रतिकूलकूल (किनारे) से विपरीत – विरोधी (पुनीत हमेशा मेरे प्रतिकूल कार्य करता है।)
फलासक्तफल में आसक्त – विषय
बेखटकेबिना खटके के – बिना आवाज़ के, बिना डर संकोच के
बेधड़कबिना धड़क के – बिना डर, संकोच के
ब्रह्मपुत्रब्रह्म का पुत्र – नदी विशेष का नाम
मंदोदरीमंद (पतला) है उदर जिसका वह स्त्री रावण की पत्नी
मक्खीचूसमक्खी को चूसनेवाला कंजूस
मयूरवाहनमयूर का वाहन है जिनका कार्तिकेय
महीप/महीपालमही (पृथ्वी) का पालन करनेवाला-राजा
मातृभाषामातृ की भाषा-बच्चे द्वारा बोली जानेवाली परिवार की भाषा (न कि केवल माँ की भाषा)
मारामारीमारने के बाद मार-कमी, किल्लत
मुँहतोड़मुँह को तोड़नेवाला—करारा, कठोर (दुश्मन को मुँहतोड़ जवाब दिया)
मुँहफटमुँह को फाड़नेवाला-बिना लिहाज-संकोच के बात करनेवाला
युधिष्ठिरयुद्ध में स्थिर रहता है जो-धर्मराज (युधि (युद्ध में) + स्थिर-ष्ठिर)
राजपूतराजा का पूत–एक जाति विशेष का नाम (राजा का पूत नहीं)
रोना-धोनारोना और धोना–प्रलाप / शिकायत करना।
लोकपाललोक का पालन करनेवाला — मंत्री, नौकरशाह आदि के विरुद्ध शिकायतों को सुननेवाला अधिकारी (दो शब्दों से बने पदाधिकारी शब्द-बहुव्रीहि समास)
विधुशेखरविधु (चंद्रमा) है शेखर (सिर) पर जिनके–शिव
विहंगावलोकनविहंग (पक्षी) की तरह अवलोकन – मोटे तौर पर व्यापक चीज़ों को देखना।
शेषशायीशेष (नाग) पर शयन करनेवाले – विष्णु
श्रद्धांजलिश्रद्धा की अंजलि (कर – संपुट) – किसी की मृत्यु पर प्रकट किया गया मृतक के प्रति सम्मान
षडाननषट् आनन हैं जिनके – कार्तिकेय
पण्मुखषट् मुख हैं जिनके – कार्तिकेय
सफलफल के साथ है जो – उत्तीर्ण, कामयाब
सरासरसर के बाद सर-एक दम से, पूरी तरह (गलत / झूठ)
सहस्राक्षसहस्र (हज़ार) अक्षि (आँखें) हैं जिनके-इंद्र
सहस्राननसहस्र (हज़ार) आनन (मुँह) हैं जिनके विष्णु, शेषनाग
सहृदयहृदय सहित है जो — संवेदनशील
सात-पाँचसात और पाँच – चालाकी
सिंहवाहिनी.सिंह के वाहनवाली — दुर्गा
सिंहावलोकनसिंह की तरह अवलोकन-आगे बढ़ते हुए भी पीछे की बातों पर गौर करना
सिरफिरासिर है फिरा हुआ जिसका सनकी
सिरचढ़ासिर पर चढ़ा हुआ-अपनी बात मनवा लेनेवाला, लाड़ला
सिरदर्दसिर में दर्द–परेशानी, झंझट (यह परीक्षा मेरे लिए सिरदर्द बनी हुई है।) (सिर में दर्द होने पर अधिकरण तत्पुरुष)
सूरदाससूर (सूर्य) का दास – हिंदी के कवि का नाम / अंधा व्यक्ति
सूर्यपुत्रसूर्य का पुत्र कर्ण
स्वर्गवासस्वर्ग में वास—मृत्यु
सफेदपोशसफ़ेद हों जिसके पोश ( वस्त्र ) शारीरिक श्रम से रहित नौकरशाह, राजनेता आदि
हिरण्यगर्भहिरण्य (सोने) का गर्भ है जिनका – ब्रह्मा, चतुरानन, चतुर्मुख आदि
इंद्र 
देवराजदेवों का राजा-इंद्र
नाकपतिनाक (स्वर्ग) का पति इंद्र
वज्रपाणिवज्र है जिसके पाणि (हाथ) में इंद्र
वज्रायुधवज्र का आयुध है जिसके इंद्र
शचीपतिशची का पति इंद्र
 इसी तरह इंद्र के लिए सुरेश, सुरपति, देवेश, देवेंद्र, अमरपति, आदि समास भी इसी प्रकार के हैं।
  
कृष्ण 
गिरिधरगिरि (पहाड़) को धारण करनेवाला कृष्ण
घनश्यामघन (बादल) के समान है श्याम (वर्ण) जो कृष्ण
पीतांबरपीत (पीले) अंबर (वस्त्र) हैं जिनके कृष्ण, पीत (पीला) है जो अंबर (वस्त्र) पीले रंग का वस्त्र विशेष
ब्रजवल्लभब्रज का चल्लभ (स्वामी) कृष्ण
नंदनंदननंद का नंदन (पुत्र) कृष्ण
मुरारिमुर (राक्षस का नाम) के अरि (शत्रु) कृष्ण
 इसी तरह गोपीनाथ, गोपाल, ब्रजेश, ब्रजेश्वर, ब्रजनंदन, ब्रजबिहारी, ब्रजकिशोर, (माधव मधु+अ प्रत्यय-मधु राक्षस को मारनेवाला) कंसारि (कंस + अरि = शत्रु), मुरलीधर, मधुसूदन (मधु (राक्षस का नाम) का सूदन (वध) करनेवाला), द्वारकाधीश, यदुनंदन, चक्रधर आदि कृष्ण के लिए प्रयुक्त होनेवाले बहुव्रीहि समास हैं।
  
कामदेव 
अनंगबिना अंग का – कामदेव
कुसुमशरकुसुम के शर (बाण) हैं जिसके – कामदेव
पुष्पधन्वापुष्पों का धनुष है जिसका – कामदेव
मकरध्वजमकर का ध्वज है जिसका – कामदेव
मनोजमन में जन्म लेता है जो – कामदेव
रतिकांतरति का कांत (पति) – कामदेव
 कामदेव के लिए अन्य समास हैं — मन्मथ (मन को मथनेवाला), मनसिज (मन से (ज) जन्म लेनेवाला), रतिपति (रति का पति), मीनकेतु (मीन के केतु (ध्वज) वाला आदि) ।
  
गणेश 
लंबोदरलंबा उदर है जिनके गणेश
वक्रतुंडवक्र (टेढ़ा) जिनका तुंड (मुख) है—गणेश
 इसी प्रकार गणेश के लिए अन्य समास हैं- गजानन (गज-हाथी का आनन – मुँह; गणपति, गजवदन, भवानीनंदन (भवानी के नंदन-पुत्र), मूषकवाहन (मूषक (चूहा) का वाहन है जिनके), गिरिजानंदन (गिरिजा -गिरि की जा अर्थात् हिमालय की पुत्री पार्वती के नंदन (पुत्र), मोदकप्रिय, गणपति (गणों के पति), गणनायक (गणों के नायक) आदि।
  
शिव 
आशुतोषआशु (शीघ्र) तुष्ट हो जाते हैं जो – शिव
इंदुशेखरइंदु (चंद्रमा) है शेखर (सिर) पर जिनके – शिव
नीलकंठनीला है कंठ जिनका—–शिव
पशुपतिपशु का पति (स्वामी) – शिव
महेश्वरमहान् है जो ईश्वर – शिव
शूलपाणिशूल (त्रिशूल) है पाणि (हाथ) में जिनके–शिव
 इसी प्रकार शिव के लिए अन्य समास हैं-भूतेश (भूतों का ईश), मदनरिपु (मदन अर्थात, कामदेव का रिपु-शत्रु), कैलाशपति, बाघांबर (बाघ के चर्म का अंबर-वस्त्र), सतीश (सती (पार्वती) के ईश)- महादेव आदि।
  
सरस्वती 
पद्मासनापद्म (कमल) का आसन है जिनके-सरस्वती/लक्ष्मी
वाग्देवीवाक् (भाषा) की देवी सरस्वती
वीणापाणिवीणा है पाणि (हाथ) में जिनके सरस्वती
 इसी प्रकार सरस्वती के लिए अन्य समास हैं — वीणावादिनी (वीणा का वादन करनेवाली), वीणाधारिणी, वागीश्वरी (वाक् की ईश्वरी), धवलवसना।
  
हनुमान 
अंजनिसुतअंजनी (अनुमान जी की माँ का नाम) का सुत हनुमान
कपीश्वरकपियों (वानर) के ईश्वर – हनुमान
वज्रांगवज्र के समान अंगवाला—हनुमान
 हनुमान जी के लिए अन्य समास हैं—पवनसुत, अंजनिपुत्र, महावीर, मारुतसुत, कपीश, वज्रदेह आदि।
  
विष्णु 
गरुड़ध्वजगरुड़ का ध्वज है जिनके – विष्णु
पुंडरीकाक्षपुंडरीक (नील कमल) के समान हैं जिनकी अक्षि (आँखें ) – विष्णु
हृषीकेशहृषीक (इंद्रियों) के ईश-विष्णु / कृष्ण
श्रीशश्री (लक्ष्मी) के ईश-विष्णु
 विष्णु के लिए अन्य समास-चक्रपाणि, मधुरिपु (मधु दैत्य के शत्रु), लक्ष्मीपति, नारायण (नारा–जल में है अयन–स्थान जिनका), दीर्घबाहु आदि ।
  
बलराम 
रेवतीरमणरेवती (बलराम की पत्नी) के साथ रमण करने वाले – बलराम
रोहिणीनंदनरोहिणी के नंदन (पुत्र) –बलराम
हलधरहल को धारण करनेवाले बलराम
  
पार्वती 
हिमतनयाहिम (हिमालय) की तनया (पुत्री) –पार्वती
शैलनंदिनीशैल (हिमालय) की नंदिनी (पुत्री)–पार्वती
  
राम 
दशरथनंदनदशरथ के नंदन–राम
रघुपतिरघु (वंश) के पति (स्वामी) राम
  
कमल 
नीरजनीर से जन्म लेनेवाला–कमल
वारिजवारि से जन्म लेनेवाला–कमल
 इसी तरह कमल के लिए अन्य समास हैं — जलज, अंबुज, पंकज, शतपत्र, शतदल, जलजात (जल से जात—उत्पन्न अब्ज–अप् (पानी) +ज़)।
  
वाचस्पतिवाक् (वाच्) का पति–बृहस्पति
सूतपुत्रसूत (सारथि) का पुत्र कर्ण
नीरदनीर को  (द) देनेवाला— बादल
 इसी तरह बादल के अर्थ में अन्य समास हैं — वारिद, जलद, अंबुद, पयोधर, जलधर, तोयद, अब्द (अप् + द् = पानी  देनेवाला) आदि ।
  
सूर्य 
दिवाकरदिवा (दिन) में कर (किरण) देनेवाला – सूर्य
अंशुमालीअंशु (किरणों) की मालावाला—सूर्य
  
सुधाकरसुधा (अमृत) की कर (किरण) वाला — चंद्रमा
 चन्द्रमा के लिए अन्य समास हैं–निशाकर, निशानाथ, कलानाथ, मृगलांछन, मृगांक, सुधांशु, हिमांशु, राकेश, शशांक (जिसके शरीर पर शश (खरगोश) का है लांछन, हिमकर, सुधाकर आदि ।
  
इंद्रधनुषइंद्र का धनुष-बरसात में बननेवाला सतरंगी अर्धवृत्त (वह न तो धनुष है, न इंद्र का है।)
  
नरेशनरों का ईश राजा
 इसी तरह राजा के लिए अन्य समास हैं—भूपति, महीपति, महीपाल, महीप, क्षितीश, अवनीश, नरेंद्र, भूपाल, नृपति आदि)
  
हिमाद्रिहिम का अद्रि (पर्वत) – हिमालय, संसार में हिमाद्रि बहुत हैं किंतु हिमाद्रि
 केवल हिमालय के लिए रूढ़ है; इसी प्रकार हिमगिरि, पर्वतराज, नगराज, नगाधिराज आदि ।
  
अक्षांशअक्ष का अंश — पृथ्वी के अक्ष (धुरी) के झुके होने से संबंधित भूगोल की एक अवधारणा
अनाथजिसका कोई नाथ नहीं है बेसहारा
अनुस्मारकस्मरण दिलाने हेतु लिखा गया पत्र का प्रारूप विशेष (Reminder) तकनीकी शब्द
अभूतपूर्वजो पूर्व में न हुआ हो — अद्भुत, निराला
कठघराकाठ का घेरा – न्यायालय में अपराधी/साक्षी के लिए खड़े होने के लिए बना काठ का घेरा विशेष
कठफोड़ाकाठ को फोड़नेवाला – एक पक्षी विशेष (खातीचिड़ा)
कनफटाकान हैं फटे हुए जिसके – नाथों का एक संप्रदाय विशेष
कन्यादानकन्या का दान-लड़की के विवाह की हिंदू पद्धति
कमरतोड़कमर को तोड़नेवाली – बहुत परेशान करनेवाली (मँहगाई/मेहनत)
खगख (आकाश) में ग (गमन करनेवाला) – पक्षी
खाया-पियाखाया हुआ और पीया हुआ — आर्थिक दृष्टि से संपन्न (खाए-पीए घर का)
गुरुद्वारागुरु का द्वारा (स्थान) (केवल) सिक्खों का धर्मस्थान (किसी अन्य गुरु का द्वारा नहीं)
गोदानहिंदुओं में किसी मृतक की मोक्ष के लिए किया जानेवाला गाय का दान या उसके निमित्त दी जानेवाली धनराशि। गो का दान–प्रेमचंद का विश्वप्रसिद्ध उपन्यास
छिन्नमस्ताछिन्न (कटा हुआ) हो जिसका मस्तक — देवी का एक रूप
जयपुरजयसिंह द्वारा बसाया हुआ पुर (नगर) एक शहर विशेष का नाम
जला-भुनाजला हुआ तथा भुनाहुआ — खिन्न, नाराज़
झाड़फूंकझाड़ना और फूँकना सफ़ाई करना, मंत्र आदि से उपचार भी
डंडीमारडंडी से मारनेवाला — तराजू से कम तोलनेवाला व्यापारी
टुटपूँजिवाटूटी (कम) है जिसकी पूँजी – विपन्न (ग़रीब)
तपोधनतप ही है धन जिसका — तपस्वी (धनादि की आकांक्षा से रहित)
तिलचट्टातेल को चाटनेवाला — एक कीड़ा विशेष
तिलांजलितिलों की अंजलि (कर – संपुट) किसी संबंध से मुक्त हो जाना
तू-तू-मैं-मैंबोलने में तू और मैं का प्रयोग – भाषा द्वारा किया जानेवाला झगड़ा
थानेदारथाने का दार (प्रभारी) पुलिस में एक पद विशेष
दत्तचित्तचित्त को (किसी काम में) दिया हुआ — किसी काम में डूबा हुआ
दुर्वासाबुरे (दुर्) वस्त्र (वसन) पहननेवाला – एक ऋषि विशेष का नाम
दूरदर्शनदूर का दर्शन – भारत सरकार का टेलीविज़न उपक्रम विशेष
देखा-भालाअच्छी तरह देखा हुआ — अति परिचति
देशांतरदेश है जो अंतर के साथ (देश (Space) के परिवर्तन संबंधी भूगोल की अवधारणा)
नगरपालिकानगर की पालिका एक संगठन विशेष का नाम
निशाचरनिशा में चलनेवाला – राक्षस / चोर / उल्लू ( निशा में चलनेवाले व्यक्ति नहीं )
नीलगायनीली है जो गाय-गाय की एक जाति विशेष (सामान्य गाय नीली हो तो वह नील गाय नहीं कहलाती)
पक्षधरपक्ष को धारण करनेवाला – तरफ़दारी करनेवाला
पतझड़पत्तों का झड़ जाना — एक ऋतु विशेष
पतिव्रतापति ही व्रत है जिसका – पतिनिष्ठ पत्नी
पदान्वयपदों का अन्वय – पदों का परिचय देने की व्याकरण की एक प्रक्रिया विशेष
पनवाड़ीपान की बाड़ी – पान विक्रेता
परलोकगमनपर (दूसरे) लोक को गमन – मृत्यु
पाणिग्रहणपाणि (हाथ) का ग्रहण करना (वर – वधू का) हिंदू विवाह का नाम
प्राणाहुतिप्राणों की आहुति – अन्य के लिए जीवन समाप्त कर लेना
प्राप्तोदकप्राप्त है उदक जिसे वह मृतात्मा जिसका तर्पण हो गया है / गाँव जिसको जल (वर्षा) मिल गया हो
बटमारबाट में मारने वाला एक प्रकार का डाकू
बड़बोलाबढ़ – चढ़कर बोलनेवाला – डींग हाँकनेवाला
बालामृतबाल के लिए अमृत बच्चों के लिए एक प्रकार की विशिष्ट दवा का नाम
भूदानभू का दान – विनोबा भावे द्वारा चलाया गया एक आंदोलन विशेष
भूपतिभू का पति राजा
मझधारधारा के मध्य – अधरझूल में, बीच में
मनचलाचंचल है मन जिसका अस्थिर मन से सोचनेवाला
महाकाव्यमहान् है जो काव्य-प्रबंध काव्य का एक रूप विशेष
महाजनमहान् है जो जन – वैश्य (उसका महान् होना आवश्यक नहीं)
महावीरमहान् है जो वीर-हनुमान या महावीर स्वामी
मारामारीमारने के बाद मारना–घोर अव्यवस्था, भारी कमी (नौकरी के लिए मारामारी)
मुँहदिखाईमुँह की दिखाई नई बहू को दी जानेवाली भेंट विशेष
मुनित्रयतीन मुनियों का समूह–पाणिनी, कात्यायन और पतंजलि वैयाकरण विशेष
मृगमृ (जंगल) में ग (गमन करनेवाला) – हरिण (केवल हरिण – अन्य जानवर नहीं)
मृत्युंजयमृत्यु को जय करनेवाला – एक प्रकार का मंत्र विशेष, शूरवीर विशेष
रत्नगर्भारत्न हैं जिसके गर्भ में – पृथ्वी
राजरोगराजा है जो रोगों में — असाध्य रोग, यक्ष्मा रोग (ट्यूबरक्लोसिस)
रामायणराम का अयन (त्याग और आदर्श का मार्ग) – वाल्मीकि रचित काव्य
राष्ट्रपतिराष्ट्र का पति – भारत का सर्वोच्च सांविधानिक पद (पद का तकनीकी नाम)
लोकसभालोक (लोगों) की सभा-भारतीय संसद का निम्न सदन
वसुंधरावसु (रत्न, धन) को धारण करनेवाली – पृथ्वी
वाग्दत्तावाक् (जबान) के द्वारा दी जा चुकी — वह लड़की जिसकी सगाई हो गई है।
वाग्दानवाक् (जबान द्वारा दान, कन्यादान बाद में होगा) का दान – सगाई
विधानपरिषद्विधानपरिषद् विधान बनाने के लिए परिषद् – भारत के प्रदेशों में विधान बनाने के लिए
विधानसभाविधान बनाने के लिए सभा – भारत के प्रदेशों में जनप्रतिनिधि सभा (तकनीकी शब्द)
विषधरविष को धारण करता है जो – साँप/शिव
शपथपत्रशपथ के लिए पत्र – विधि के अनुसार शपथ के लिए निर्धारित एक प्रपत्र विशेष (विधि की प्रक्रिया में एक तकनीकी पत्र)
शब्दानुशासनशब्दों का अनुशासन – व्याकरण
शांतिपुत्रशांति का पुत्र – शांति स्थापित करने के लिए प्रयत्न करनेवाला
शांतिप्रियशांति को प्रेम करता है वह जो – झगड़ा, विवाद नहीं
श्वेतपत्रश्वेत (रंग का) हो जो पत्र – यथास्थिति को बतानेवाला सरकारी आलेख
सचेतचेत (चेतना) के साथ – सावधान
सजगजगने (जागरण) के साथ – सावधान
सत्याग्रहसत्य के लिए आग्रह – एक विशिष्ट प्रकार से किया जानेवाला आंदोलन
सिरफुटोवलसिर का फूटना – झगड़ा / मारपीटवाली लड़ाई
सेनाध्यक्षसेना का अध्यक्ष–सेना का सर्वोच्च पदाधिकारी (एक पद विशेष)
सेहराबधाईसेहरे की बँधाई – दूल्हे के सेहरा बाँधने के लिए दामाद आदि को दी जानेवाली भेंट विशेष
सोमरससोम (चंद्रमा) का रस नशीला द्रव, मदिरा
स्वस्थस्व में स्थित रहनेवाला (नीरोगी)
हथलेवाहाथ को लेना (वर-वधू द्वारा एक-दूसरे का हाथ लेना) – विवाह
हितोपदेशहित के लिए उपदेश – विष्णु शर्मा द्वारा रचित संस्कृत की पुस्तक का नाम
हुक्कापानीहुक्का पानी आदि – जाति विशेष से सामाजिक व्यवहार (कमलेश का हुक्का पानी बंद कर दिया अर्थात् सामाजिक बहिष्कार कर दिया।
हृदयहीनहृदय से हीन — संवेदनहीन (निर्मम/कठोर)

संख्या शब्दों से बने बहुव्रीहि —

विशिष्ट अर्थ देने के कारण द्विगु नहीं

अठवाराआठवें वार को लगनेवाला — एक प्रकार का बाज़ार विशेष
अष्टछापअष्ट लोगों की छाप — मध्यकाल में सूरदास आदि आठ विशिष्ट कृष्णभक्त कवियों का समूह
अष्टाध्यायीजिसके आठ अध्याय हैं — पाणिनी रचित संस्कृत व्याकरण की पुस्तक विशेष (आठ अध्यायोंवाली अन्य कोई पुस्तक नहीं)
इकताराएक तार हो जिसके – एक वाद्य यंत्र विशेष का नाम
इकतरफाएक ही तरफ है जो – पक्षपाती
एकतंत्रएक (राजा) का तंत्र — एक शासन-पद्धति विशेष
एकदंतएक दंत है जिनके – गणेश
एकांकीएक अंक का नाटक का एक प्रकार विशेष
एकाएकएक के बाद एक अचानक (यकायक भी बहुव्रीहि है)
चतुराननचार आनन हैं जिनके – ब्रह्मा
चतुर्भुजचार भुजाएँ हैं जिनके – विष्णु
चतुर्युगचार युग का समूह सत्युग, त्रेता, द्वापर, कलियुग
चतुर्वर्गचार वर्गों का समूह-अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष
चतुर्वेदचार वेदों का संग्रह – ऋक् अथर्व, यजु तथा साम-विशिष्ट वेद-ग्रंथ
चतुर्वेदी/चौबेचार वेदों को जाननेवाला-ब्राह्मणों का गोत्र विशेष
चहुँमुखीजिसके चार मुख हो — समग्र (चहुँमुखी विकास समग्र विकास)
चारपाईचार पाए हो जिसके – खाट
चौकन्नाचार हैं कान जिसके सजग
चौखटचार काठों का ढाँचा-दरवाज़े की चार लकड़ियाँ विशेष (अब चार भी नहीं, तीन लकड़ियों/पत्थर/लोहे से बना ढाँचा भी चौखट कहलाता है)
चौपड़चार फड़ों (कपड़े की पट्टी) के समूहवाली-एक खेल विशेष
चौपाईजिसके चार पाए (पद-चरण) हों — एक छंद विशेष का नाम
चौपायाचार पाँव हैं जिसके – पशु
चौपालचार पाल हों जिसके – गाँव में बैठने का सामूहिक स्थल
चौमासाचार मास का समूह – वर्षा ऋतु के चार मास विशेष-आषाद, श्रावण, भाद्रपक्ष, आश्विन
छप्पयजिसके छह पद हों—एक छंद विशेष
छमाहीछह माह के बाद आनेवाली हिंदुओं में किसी की मृत्यु के साढ़े पाँच माह बाद किया जानेवाला कर्मकांड विशेष
तिरंगातीन रंगोंवाला (वस्त्र)-भारत का राष्ट्रध्वज
तीस मार खाँतीस को मारकर खानेवाला विशेष शूरवीर
त्र्यंबकतीन अंबक (नेत्र) हैं जिनके – शिव
त्रिफलातीन फलों का समूह–हरड़े, बहड़े, आँवला (अन्य कोई तीन फल नहीं)
त्रिदोषतीन प्रकार का दोष – वात्, पित्त, कफ-आयुर्वेद की चिकित्सा संबंधी अवधारणा के अनुसार विशिष्ट दोष
त्रिपाठीतीन पाठों (तीन वेदों के) को जाननेवाला-ब्राह्मणों का गोत्र विशेष
त्रिपिटकतीन पिटकों (रचना-संग्रह) का संग्रह (बौद्ध धर्म का ग्रंथ विशेष)
त्रिभुवनतीन भुवन (संसार) का समाहार-धरती-आकाश-पाताल विशेष
त्रिमूर्तितीन मूर्तियों का (विशेष) समूह ब्रह्मा, विष्णु, महेश
त्रिलोकतीन लोकों का समाहार-आकाश, पाताल, धरती
त्रिलोचनतीन लोचन (नेत्र) हैं जिनके–शिव
त्रिवेणीतीन वेणियों (गंगा-यमुना-सरस्वती) का संगम-स्थल-प्रयागराज
त्रिवेदीतीन वेदों को जाननेवाला-ब्राह्मणों का एक गोत्र विशेष
त्रिशंकुअयोध्या के एक राजा विशेष का नाम-किसी अभियान में बीच में ही लटके रह जानेवाला।
त्रिशूलतीन शूलों का समूह–शिव के अस्त्र का नाम (तीन बाणों की नोकों या कटारों का समूह)
दशमुखदस मुख है जिसके रावण (दशकंध, दशग्रीव, दशानन आदि)
दुधारीदो हैं जिसकी धार—दोनों तरफ से नुकसान पहुँचानेवाली (दुधारी चाल)
दुनालीदो नालवाली बंदूक – एक बंदूक विशेष
दुपट्टादो पाट का वस्त्र–आँचल, एक विशेष प्रकार का वस्त्र
दुरंगीदो रंगवाली — दो तरह के व्यवहारवाली क्रिया (रंग का कोई अर्थ नहीं)
दुमुंहाजिसके दो मुँह हों — दोगला
दुमुंहीदो मुँह हों जिसके (मादा) – साँप की जाति विशेष
द्विगुदो गायों का समाहार-समास की एक कोटि विशेष (अव्ययीभाव, तत्पुरुष, कर्मधारय, द्विगु, बहुव्रीहि नामक समास पद भी बहुव्रीहि है क्योंकि ये सब तकनीकी शब्द हैं, अवधारणा विशेष के प्रतिनिधि हैं।)
द्विवेदी / दुबेदो वेदों को जाननेवाला-ब्राह्मणों का एक गोत्र विशेष (उनके द्वारा वेदों को जानना आवश्यक नहीं)
नवग्रहनव (नौ) ग्रहों का समूह-मंगल, बुध आदि विशिष्ट नौ ग्रह
नवरात्रनौ रात्रियों का समूह–चैत्र एवं आसोज की विशिष्ट नौ रात्रियाँ (कोई भी नौ रात्रियाँ नहीं)
पंचतंत्रपंच प्रकार का तंत्र-विष्णु शर्मा द्वारा रचित संस्कृत की पुस्तक विशेष
पंचवटीपाँच वटवृक्षों का होना, समूह वाला स्थान, महाराष्ट्र में स्थान विशेष (अब वहाँ पाँच वटवृक्ष आवश्यक नहीं)
पंचशरपाँच (पाँच फूलों के) शर हैं जिसके कामदेव
पंचशीलपंचशीलों का समूह–भारत सरकार द्वारा निर्धारित अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए ‘अनाक्रमण’ आदि पाँच विशिष्ट सिद्धांत
पंचांगपंच अंग हों जिसके–पाँच घटकों से बनी ज्योतिष की एक पुस्तक विशेष
पंचामृतपाँच अमृतों का योग–दूध, दही, शक्कर, घी, शहद
पंजाबपाँच आबों (पानी-नदियों) का क्षेत्र–एक राज्य विशेष
बारहसींगाबारह सींगोंवाला पशु–हरिण की एक जाति विशेष (ज़रूरी नहीं कि उसके निश्चित बारह ही सींग हों)
षट्पदषट् पद (पैर) वाला—(केवल) भ्रमर (अन्य छह पद वाले कीड़े नहीं)
षड्रसषट् प्रकार के रस विशेष—–मीठा, नमकीन, तीता (मिर्चीला), कड़वा, कसैला और खट्टा
षड्ऋतुषट् ऋतुएँ विशेष — शीत, ग्रीष्म, वर्षा, हेमंत, शिशिर, बसंत (बस ये निश्चित ऋतुएँ)
षड्गुणषट् प्रकार के गुण विशेष— ईर्ष्या, द्वेश, प्रयत्न, सुख, दुःख और ज्ञान
षड्दर्शनषट् दर्शनों का समूह–सांख्य, न्याय, वैशेषिक, योग, मीमांसा, वेदांत आदि छह भारतीय दर्शन विशेष
सतमासासात मास का हो जो – गर्भ में सात मास ही रहकर जन्म लेनेवाला बालक विशेष
सप्तऋषिसात (उनके नाम निश्चित हैं) ऋषि विशेष—गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र जमदग्नि, वशिष्ठ, कश्यप और अत्रि ।
सप्तशती / सतसईसात सौ छंदों का समूह-सात सौ छंदों के काव्य का एक प्रकार किंतु दो सौ या चार सौ छंदों का काव्य भी सतसई ही कहलाता है।
सप्तपदीसप्त पद (वर-वधू द्वारा एक-दूसरे को दिए जानेवाले सात (पद) वचन) हिंदू विवाह की एक रीति विशेष
सप्तसिंधुसात सिंधु-सातों निश्चित नाम के समुद्र–क्षीर, दधि, घृत, ईक्षु, मधु, मदिरा और लवण
सहस्रकरसहस्र (हज़ार) हैं जिसकी कर (किरण) – सूर्य

द्विगु समास

पहला पद संख्यावाची हो, समूह या समाहार का बोध कराएं

अष्टधातुआठ धातुओं का समूह
इकट्ठाएक जगह स्थित
एकतरफ़ाएक ही तरफ़ है जो
चतुर्भुजचार भुजाओंवाला (आयत) (चतुर्भुज विष्णु के अर्थ में बहुव्रीहि भी होता है जो आगे बहुव्रीहि में वर्णित है।)
चौबाराचार द्वारवाला (भवन)
चौकड़ीचार कड़ियों वाली
चौकोरचार कोर (कोनों) का
चौराहाचार राहों का संगम
चौहद्दीचार हदों का आवरण (सीमा)
छमाहीछह माह के बाद आनेवाली
तिकोनातीन कोनों का
तिमाहीतीन माह के बाद आनेवाली
तिबारातीन द्वारों वाला (भवन) (द्वार-बार)
तिराहातीन राहों का संगम
त्रिभुजतीन भुजाओं वाला (आकार)
दशाब्दी/दशकदस अब्दों (वर्षों) का समूह
दुगुनादो बार गुना
दुपहर/दोपहरदिन में दो पहर (प्रहर) के बाद का समय
दुपहियादो हैं जिसके पहिये
दुबारादो बार
दुमंजिलादो हैं जिसकी मंजिलें
दुमटदो प्रकार की मिट्टी
दुराहादो राहों का संगम
दुसूतीदो हैं जिसके मृत (धागे)
नवरत्ननव (नौ) रत्नों का समूह (अकबर के नौरत्नों के संदर्भ में बहुव्रीहि होगा)
नौलखानौ लाख रुपए के मूल्य का
पंचरंगापाँच रंगों का मेल
पंचरात्रपंच (पाँच) रात्रियों का समाहार
पनसेरीपाँच सेर का बाट
शतांशशत (सौवॉ) अंश
शताब्दीशत अब्दों (वर्षों) का समूह
षट्कोणषट्कोणों का समूह
सतरंगसात रंगों का समूह
सप्ताहसप्त अह्नों (दिनों) का समूह
सहस्राब्दीसहस्र अब्दों (वर्षों) का समूह

द्वंद समास

इतरेतर – द्वंद समास

अन्न-जलअन्न और जल
आय-व्ययआय और व्यय
आयात-निर्यातआयात और निर्यात
आवागमनआगमन और गमन
इधर-उधरइधर और उधर
कंद-मूल-फलकंद और मूल और फल
दाल-भातदाल और भात
दूध-रोटीदूध और रोटी
देश-विदेशदेश और विदेश
धनुर्बाणधनु और बाण
माँ-बापमाँ और बाप
राधाकृष्णराधा और कृष्ण
लोटा-डोरलोटा और डोर
सीतारामसीता और राम
हरिहरहरि (विष्णु) और हर (महादेव)
चौबीसचार और बीस
छत्तीसछह और तीस
अड़सठआठ और साठ

समाहार – द्वंद समास

आगा-पीछाआगा, पीछा आदि
आहार-निद्राआहार, निद्रा आदि
आटा-दालआटा, दाल आदि
उछल-कूदउछल कूद आदि
कंकर-पत्थरकंकर, पत्थर आदि
कपड़ा- लत्ताकपड़ा, लत्ता आदि
करनी- भरनीकरनी, भरनी आदि
काम-काजकाम, काज आदि
कीड़ा-मकोड़ाकीड़ा, मकोड़ा आदि
कुरता-टोपीकुरता, टोपी आदि
कूदा- फाँदीकूदन, फाँदना आदि
खान-पानखान, पान आदि
खाना-पीनाखाना, पीना आदि
खेत-खलिहानखेत, खलिहान आदि
घर-द्वार (घरबार)घर, द्वार आदि
मक्खी-मच्छरमक्खी, मच्छर आदि
चलता-फिरताचलता, फिरता आदि
चाय-पानीचाय, पानी आदि
चिट्ठी-पत्रीचिट्ठी, पत्री आदि
छल-कपटछल, कपट आदि
जलवायुजल, वायु आदि
ढोर-डंगरढोर, डंगर आदि
धन-दौलतधन, दौलत आदि
नोन-तेलनोन (नमक), तेल आदि
पेड़-पौधेपेड़, पौधे आदि
फल-फूलफल, फूल आदि
बचा-खुचाबचा, खुचा आदि
बहू-बेटीबहू, बेटी आदि
बाप-दादाबाप, दादा आदि
बाल-बच्चाबाल, बच्चा आदि
भूल-चूकभूल, चूक आदि
भूत-प्रेतभूत, प्रेत आदि
मेल-मिलापमेल, मिलाप आदि
मोल-तोलमोल, तोल आदि
रुपया-पैसारुपया, पैसा आदि
रोक-टोकरोक, टोक आदि
लूट-मारलूट, मार आदि
लेखा-जोखालेखा, जोखा आदि
सागपातसाग, पात आदि
सुख-सुविधासुख, सुविधा आदि
हाथ-पाँवहाथ, पाँव आदि
भला-बुराबुरा आदि (यहाँ भले का अर्थ नहीं होता, केवल बुरे का अर्थ ही होता है।)
छोटा-मोटाछोटा आदि
थोड़ा-बहुतथोड़ा आदि
ऊँच-नीचनीच आदि
अड़ोसी-पड़ोसीपड़ोसी आदि
अगल-बगलबगल आदि
आमने-सामनेसामने आदि
ढीला-ढालाढीला आदि
चाय-वायचाय आदि
रहन-सहनरहना आदि

वैकल्पिक – द्वंद समास

कर्तव्याकर्तव्यकर्तव्य अथवा अकर्तव्य
आज-कलआज या कल
घट-बढ़घट या बढ़
हानि-लाभहानि या लाभ
जीवन-मरणजीवन या मरण
शादी-ग़मीशादी या ग़मी
गुण-दोषगुण या दोष
धर्माधर्मधर्म या अधर्म
राग-द्वेषराग या द्वेष
यश-अपयशयश या अपयश
सुख-दुःखसुख या दुःख
पाप-पुण्यपाप या पुण्य
हाँ-नाहाँ या ना
एक-दोएक या दो
दस-बारहदस से बारह तक
सौ पचासपचास से सौ तक
सौ-दो सौसौ से दो सौ तक

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