नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
(Right to Free and Compulsory Education Act, 2009)
● भारत में स्कूली शिक्षा को अनिवार्य किए जाने की माँग सबसे पहले गोपाल कृष्ण गोखले ने ‘गोखले बिल’ 18 मार्च, 1910 में की थी। भारत में शिक्षा के अधिकार (RTE) का जन्मदाता गोपाल कृष्ण गोखले को माना जाता है। इसके बाद, 1937 में महात्मा गाँधी ने वर्धा योजना (22-23 अक्टूबर, 1937) में और जाकिर हुसैन ने इसके महत्त्व और आवश्यकता को रेखांकित किया था।
शिक्षा के महत्त्व को दृष्टिगत रखते हुए राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों में संविधान के अनुच्छेद-45 में 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।
● संसद द्वारा 1 दिसम्बर, 2002 को 14 वर्ष तक के बच्चों हेतु नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार बनाने एवं इन बच्चों को शिक्षा के अवसर मुहैया करवाने को माता-पिता/अभिभावक का मूल कर्तव्य बनाने हेतु 86वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 पारित किया गया।
इसे 12 दिसम्बर, 2002 को महामहिम राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की अनुमति प्राप्त हुई एवं 13 दिसम्बर, 2002 को यह लागू किया गया।
● इस संशोधन द्वारा संविधान में नया अनुच्छेद 21-क (मूल अधिकार) तथा अनुच्छेद-51-क (मूल कर्तव्य) में नया वाक्यांश-ट जोड़ा गया तथा अनुच्छेद-45 में संशोधन किया गया।
● RTE-2009, सर्वप्रथम राज्यसभा द्वारा 20 जुलाई, 2009 तथा लोकसभा द्वारा 4 अगस्त, 2009 को पारित किया गया। (भारत गणराज्य के 60वें वर्ष में 35वाँ अधिनियम संसद द्वारा पारितराष्ट्रपति अनुमति 27 अगस्त, 2009 (प्रतिभा पाटिल)यह अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 से सम्पूर्ण देश (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) में लागू हो गया। (प्रधानमंत्री – मनमोहन सिंह)
Note :- जम्मू-कश्मीर में RTE-2009, 31 अक्टूबर, 2019 को लागू किया गया।
● बालकों को दिए गए मूल अधिकार के अनुसार गुणवत्तापूर्ण प्रारम्भिक शिक्षा की संरचना उपलब्ध करवाने हेतु अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 को लागू किया गया।
● भारत शिक्षा को बच्चों का मौलिक अधिकार घोषित करने वाला विश्व का 135वाँ देश है जबकि शिक्षा को बच्चों का मौलिक अधिकार घोषित करने वाला विश्व का प्रथम देश ‘नार्वे’ है।
● राजस्थान में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा-38 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने इस अधिनियम के प्रावधानों की क्रियान्विति हेतु “राजस्थान नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2011” निर्मित कर 29 मार्च, 2011 को अधिसूचित व 1 अप्रैल, 2011 को लागू कर दिया।
Note :- नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधान में राज्य में स्थित सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों तथा ऐसे माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों जिनमें कक्षा 1 से 8 तक शिक्षण होता है, चाहे वह अनुदानित हो अथवा गैर-अनुदानित तथा चाहे वह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हो अथवा अन्य किसी बोर्ड/संस्था से संबद्ध हो, में लागू होते हैं।
नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रमुख प्रावधान निम्न है-
RTE 2009 → अध्याय (7), धारा (38) व अनुसूची (1)
अध्याय-I प्रारम्भिक
धारा-1 – अधिनियम का नाम एवं विस्तार एवं प्रवृत्त होने की तिथि का विवरण है।
● “अधिनियम” से नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (2009 का 35) अभिप्रेत है;
● प्रवृत्त तिथि – यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में 1 अप्रैल, 2010 से प्रवृत्त है।
Note :- जम्मू-कश्मीर में यह अधिनियम 31 अक्टूबर, 2019 को लागू किया गया।
● RTE एक्ट (संशोधन) अधिनियम, 2012 जो 1 अगस्त, 2012 से लागू किया गया, में मूल अधिनियम की धारा (1) की उपधारा (3) के बाद नई उपधारा (4) एवं (5) जोड़ी गईं।
● लागू – उपधारा (5) के द्वारा प्रावधान किया गया है कि RTE Act-2009 ऐसे मदरसों, वैदिक पाठशालाओं एवं अन्य शिक्षण संस्थाओं पर लागू नहीं होगा, जो धार्मिक शिक्षा प्रदान करती हैं।
धारा-2 “विभिन्न परिभाषाएँ” का उल्लेख
● धारा-2(ग/c) – ‘बालक’ से आशय 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बालक या बालिका से है।
● धारा-2(घ/d) – ‘असुविधाग्रस्त समूह’ का बालक से आशय SC, ST, सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग या सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, भौगोलिक, भाषाई, लिंग या समुचित सरकार द्वारा अधिसूचित विनिर्दिष्ट अन्य किसी बात के कारण असुविधाग्रस्त अन्य समूह के बालक से है।
● धारा-2(ड़/e) – ‘दुर्बल वर्ग’ (Weaker Section) के बालक से आशय ऐसे बालक से है जिसके माता-पिता या संरक्षक की वार्षिक आय समुचित सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट न्यूनतम सीमा (राजस्थान-2.5 लाख वार्षिक आय) से कम है।
● धारा-2(च/f) – ‘प्रारम्भिक शिक्षा’ का अभिप्राय कक्षा 1 से 8 की शिक्षा से है।
● धारा-2(ज/h) – ‘स्थानीय प्राधिकारी’ (Local Authority) से अभिप्राय – किसी नगर निगम, नगर परिषद् या नगरपालिका या जिला परिषद्, नगर पंचायत या पंचायत चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो, से है। इनमें ऐसे अन्य प्राधिकारी भी शामिल हैं जिसका स्कूल पर प्रशासनिक नियंत्रण हो या जो किसी तत्समय प्रवृत्त अधिनियम के तहत् किसी शहर, कस्बे या गाँव में स्थानीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करने हेतु अधिकृत हो।
● धारा-2(ट/k) – माता-पिता से आशय किसी बालक के प्राकृतिक या सौतेले या दत्तक माता व पिता से है।
धारा-2 अन्य शब्दावली
● समुचित सरकार – केंद्र व राज्य सरकार जहाँ विद्यालय स्थित है।
● विहित – इसका तात्पर्य समुचित सरकार प्रासंगिक नियम बनाएगी, से है।
● जिला शिक्षा अधिकारी – किसी जिले में प्राथमिक शिक्षा के लिए भारसाधक समुचित सरकार का कोई अधिकारी अभिप्रेत है;
● छात्र-शिक्षक संचित अभिलेख – विस्तृत और सतत् मूल्यांकन पर आधारित बालक की प्रगति का अभिलेख अभिप्रेत है;
● ‘विद्यालय योजना निर्माण’ से सामाजिक अवरोधों और भौगोलिक अंतर को कम करने के लिए अधिनियम की धारा-6 के प्रयोजन के लिए विद्यालय स्थान की योजना बनाना अभिप्रेत है।
● ‘आँगनवाड़ी’ से भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय की एकीकृत बाल विकास सेवा स्कीम के अधीन स्थापित आँगनवाड़ी केंद्र अभिप्रेत है।
● अनुवीक्षण – प्रवेश परीक्षा को व्यक्त करता है।
Note :- अध्याय-1 RTE-2009 का सबसे छोटा अध्याय है।
अध्याय-II नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार
धारा-3
● 3(1) – “6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बालक जिसमें धारा-2(d) एवं 2(e) में विनिर्दिष्ट बालक भी शामिल हैं, को प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण होने तक अपने पड़ोस के किसी विद्यालय में नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।” (विकलांग बालक 6-18 आयु वर्ग)
● 3(2) – प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने हेतु किसी भी बालक से किसी प्रकार की फीस या व्ययों का भुगतान नहीं लिया जाएगा।
● 3(3) – नि:शक्तता से ग्रस्त किसी बालक को भी ‘Persons with disabilities Act, 1995’ के अध्याय V के अनुसार प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने का अधिकार होगा।
इस धारा के परन्तुक में प्रावधान किया गया है कि मल्टीपल अक्षमताओं वाले बालक या गम्भीर अक्षमता वाले बालक को भी ‘घर पर शिक्षा’ प्राप्त करने का अधिकार है।
धारा-4 – ऐसे बालकों, जिन्हें प्रवेश नहीं दिया गया है, के लिए विशेष उपबंध।
● जहाँ 6 वर्ष से अधिक आयु के किसी बालक को किसी विद्यालय में प्रवेश नहीं करवाया गया है या वह प्रवेश के बाद अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाया था, तो उसे उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
वर्ष | कक्षा |
6 | 1 |
7 | 2 |
8 | 3 |
9 | 4 |
10 | 5 |
11 | 6 |
12 | 7 |
13 | 8 |
तथा जहाँ ऐसे बालक को सीधे उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में प्रवेश दिया गया है, तो ऐसे बालक को अन्य बालकों के समान स्तर का होने के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर और निश्चित रीति से विशेष प्रशिक्षण (3 माह) प्राप्त करने का अधिकार होगा। परन्तु ऐसे बालकों को 14 वर्ष के पश्चात् भी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने का नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार होगा।
धारा-5 – अन्य विद्यालय में स्थानान्तरण का अधिकार।
● 5(i) – किसी विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने की व्यवस्था नहीं होने पर बालक को अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने हेतु अन्य विद्यालय में स्थानान्तरण पाने का अधिकार होगा।
● 5(ii) – बालक को अन्य विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रधानाध्यापक /इंचार्ज तुरन्त स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र जारी करेगा। इसमें अनावश्यक देरी करने पर उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
अध्याय-III समुचित सरकार, स्थानीय प्राधिकारी एवं माता-पिता का कर्तव्य
धारा-6
● इस अधिनियम के तहत् निर्धारित क्षेत्र/विहित सीमा के भीतर विद्यालय न होने पर समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी द्वारा इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के 3 वर्ष के भीतर विद्यालय स्थापित किया जाएगा।
● सामान्यतया – कक्षा 1 से 5 → 1 किमी. के दायरे में
कक्षा 6 से 8 → 2 किमी. के दायरे में
● केंद्र सरकार के अनुसार कक्षा 6 से 8 → 3 किमी. के दायरे के भीतर।
धारा-7 – वित्त व अन्य दायित्वों को वहन करना।
● 11वीं पंचवर्षीय योजना 55 : 45 (केंद्र : राज्य)
● 12वीं पंचवर्षीय योजना 65 : 35 (केंद्र : राज्य)
● वर्तमान = 60 : 40 (केंद्र : राज्य)
● पूर्वोत्तर राज्य 90 : 10 (केंद्र : राज्य)
● अनिल बोरदयी कमेटी 68 : 32
● धारा-7(6) ख – केंद्रीय सरकार शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए मानकों को विकसित और लागू करेगी तथा नवीनीकरण, अनुसंधान नियोजन और क्षमता निर्माण के संवर्धन के लिए राज्य सरकार को तकनीकी सहायता और संसाधन उपलब्ध करवाएगी।
धारा-8 – समुचित सरकार के कर्तव्य
● 8(d) – समुचित सरकार का दायित्व है कि वह स्कूल में पर्याप्त अवसंरचनात्मक सुविधाएँ यथा स्कूल भवन, शिक्षकगण एवं अधिगम सामग्री आदि की व्यवस्था करे।
धारा-9 – स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्य
● स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्य विद्यालय व्यवस्था, पर्यवेक्षण, नियंत्रण समस्त सुविधा व्यवस्था करना।
Note :- धारा-8(a) में समुचित राज्य सरकार एवं धारा-9(a) में स्थानीय प्राधिकारी का यह उत्तरदायित्व है कि वे अपने क्षेत्राधिकार में रहने वाले 6-14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क व अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करेंगे।
● अनिवार्य शिक्षा का आशय है कि समुचित सरकार का कर्तव्य है कि-
(i) 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बालक को नि:शुल्क प्रारम्भिक शिक्षा की व्यवस्था करे।
(ii) 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बालक की प्रारम्भिक शिक्षा हेतु विद्यालय में प्रवेश, ठहराव एवं प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करना सुनिश्चित करे।
धारा-10
● प्रत्येक माता-पिता/अभिभावक का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों/संरक्षित बालकों (6-14 वर्ष) को प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने हेतु नजदीक के स्कूल (Neighbourhood School) में प्रवेश दिलाएँ
धारा-11 आँगनवाड़ी/बालवाड़ी (3-6 वर्ष तक)
● 3 वर्ष से अधिक आयु के बालकों को प्रारम्भिक शिक्षा हेतु तैयार करने एवं सभी बालकों को 6 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक आरंभिक बाल्यकाल में देखरेख एवं शिक्षा की व्यवस्था करने हेतु समुचित सरकार ऐसे बालकों को प्री. स्कूल शिक्षा नि:शुल्क उपलब्ध करवाने की आवश्यक व्यवस्था कर सकेगा।
अध्याय-IV विद्यालय एवं शिक्षकों के उत्तरदायित्व
धारा-12 – स्कूल व अध्यापकों के दायित्व
● 12(1) – विनिर्दिष्ट विद्यालय अपने आस-पड़ोस में रहने वाले कमजोर व अलाभित समूह के बालकों को कक्षा 1 में सीटों की कुल संख्या के कम से कम 25% सीटों पर प्रवेश देगा एवं प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण होने तक उन्हें नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।
इस धारा के परन्तुक के अनुसार यदि किसी विद्यालय में प्री. स्कूल शिक्षा भी प्रदान की जाती है जो उक्त 12(a) से c तक के प्रावधान कक्षा 1 के स्थान पर उस प्री स्कूल की कक्षा में प्रवेश के लिए लागू होंगे।
● 12(2) – विद्यालय धारा 12(1)(ग) के तहत् कमजोर व अलाभित वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करते हैं तो स्कूल द्वारा उन पर खर्च किए व्ययों के लिए निम्न में न्यूनतम राशि का सरकार द्वारा उनको पुनर्भरण किया जाएगा।
(a) विद्यालय द्वारा प्रति बालक व्यय की गई राशि जो कि राज्य द्वारा प्रति बालक व्यय की जा रही राशि तक सीमित होगी।
(b) विद्यालय द्वारा प्रति बालक वसूल की जाने वाली राशि परन्तुक में प्रावधान है कि इस प्रकार पुनर्भरण की जाने वाली राशि धारा 2(1) में विनिर्दिष्ट विद्यालय द्वारा प्रति बालक व्यय की गई राशि से अधिक नहीं होगी।
धारा-13
● कैपीटैशन फीस (दान) वसूल करने पर पाबंदी।
● साथ ही बालक के माता-पिता या अभिभावक का किसी भी प्रकार का साक्षात्कार या अनुवीक्षण (Screening) लेने पर पाबंदी।
● उल्लंघन करने पर कैपीटेशन फीस के 10 गुना तक;
तथा स्क्रीनिंग ली जाने पर प्रथम त्रुटि पर 25 हजार तथा उसके बाद वाली प्रत्येक त्रुटि पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
धारा-14 – स्कूल प्रवेश के लिए आयु का सबूत।
● प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश के लिए प्रमाण-पत्र या अन्य कोई विहित दस्तावेज आयु का आधार होगा।
● लेकिन आयु का सबूत न होने के कारण किसी बालक को किसी विद्यालय में प्रवेश देने से इंकार नहीं किया जाएगा।
धारा-15
● बालक शैक्षणिक सत्र के प्रारम्भ में अथवा बढ़ाए गए विहित समय (Extended Period) में शाला में प्रवेश ले सकेगा। परन्तु उक्त बढ़ाई गई अवधि के बाद प्रवेश माँगने वाले बालक को प्रवेश देने से इन्कार नहीं किया जाएगा।
धारा-16
● मूल अधिनियम के प्रावधान के अनुसार किसी विद्यालय में प्रवेश प्राप्त बालक को प्रारम्भिक शिक्षा पूरी होने तक किसी कक्षा में रोका नहीं जाएगा (फेल नहीं किया जाएगा/निष्कासन नहीं)।
Note : नो डिटेंशन पॉलिसी समाप्त।
- संसद द्वारा 2019 में RTE (संशोधन) अधिनियम 3 जनवरी, 2019 पारित किया गया जिसे 10 जनवरी, 2019 को राष्ट्रपति महोदय की अनुमति प्राप्त हो गई।
- 28 फरवरी, 2019 को अधिसूचना जारी कर केंद्र सरकार ने इस संशोधन अधिनियम को 1 मार्च, 2019 से लागू किया।
- इस संशोधन अधिनियम द्वारा RTE Act-2009 की धारा 16 को प्रतिस्थापित किया गया एवं धारा-38 में संशोधन किया गया।
धारा-16(1)
● प्रत्येक शैक्षणिक सत्र के अंत में कक्षा 5 एवं कक्षा 8 की नियमित परीक्षा होगी।
धारा-16(2)
● यदि कोई बालक उपधारा(1) में उल्लिखित परीक्षा में फेल हो जाता है तो उसे अतिरिक्त निर्देशन प्रदान किया जाएगा एवं उक्त परिणाम की घोषणा के दो माह के अंदर पुन: परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर दिया जाएगा।
धारा-16(3)
● यदि बालक पुन: परीक्षा में भी अनुत्तीर्ण हो जाता है तो समुचित सरकार विनिर्दिष्ट तरीके से एवं विहित शर्तों के अध्यधीन विद्यालयों को बालक को कक्षा 5 या कक्षा 8 या दोनों में रोकने (फेल करने) की अनुमति दे सकेगी।
● परन्तु समुचित सरकार बालक को प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण होने तक किसी भी कक्षा में नहीं रोकने (फेल न करने) का विनिश्चय भी कर सकेगी।
धारा-16(4)
● कोई भी बालक प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने तक विद्यालय से निष्कासित नहीं किया जा सकता।
धारा-17 – बालक के शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न पर रोक।
● 17(1) – किसी बालक को शारीरिक दण्ड नहीं दिया जाएगा या उसका मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।
● 17(2) – इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर लागू सेवा नियमों के तहत् अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
धारा-18 – मान्यता प्रमाण-पत्र प्राप्त किए बिना विद्यालय स्थापित करने पर रोक।
● 18(1) – मान्यता प्राप्त किए बिना कोई विद्यालय स्थापित या संचालित नहीं किया जाएगा।
● 18(2) – प्राधिकारी विनिर्दिष्ट प्रारूप में, विनिर्दिष्ट समय एवं विधि से, विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन मान्यता प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
● 18(3) – मान्यता की शर्तों का उल्लंघन करने पर विनिर्दिष्ट प्राधिकारी विहित विधि से सुनवाई का पर्याप्त अवसर प्रदान करने के बाद लिखित आदेश द्वारा मान्यता वापस लेगा।
● 18(4) – कोई विद्यालय उपधारा(3) के तहत् मान्यता वापस लिए जाने की तिथि से कार्य जारी नहीं रखेगा।
● 18(5) – बिना मान्यता प्रमाण-पत्र प्राप्त किए या मान्यता समाप्त किए जाने के बाद भी विद्यालय स्थापित करने या चालू रखने पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना तथा उल्लंघन जारी रहने पर उल्लंघन के लिए 10,000 रुपए प्रति दिवस जुर्माना देय होगा।
धारा-19 – विद्यालय के प्रतिमान एवं मानदण्ड।
● अधिनियम के लागू होने से पूर्व स्थापित स्कूल को, जो इस अधिनियम के प्रतिमान व मानदण्डों को पूरा नहीं करता है तो उसे इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से 3 वर्ष के भीतर स्वयं के खर्चे पर अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्रतिमान व मानदण्ड पूर्ण करने होंगे।
धारा-20
● केंद्र सरकार अधिसूचना द्वारा किसी भी मानक में परिवर्तन या लोप कर सकेगी।
धारा-21 – विद्यालय प्रबंध समिति का गठन
● जिसमें प्रवेश प्राप्त सभी बालकों के माता-पिता या संरक्षक और विद्यालय के सभी शिक्षक एवं स्थानीय निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधि सदस्य होंगे।
● ऐसी स्थिति में कम से कम ¾ सदस्य (कम से कम 75%) माता-पिता या संरक्षक (माता-पिता के जीवित न होने पर) होंगे।
● इस समिति में 50% सदस्य स्त्रियाँ होंगी।
Note :- राजस्थान नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 के नियम 3 के अनुसार विद्यालय प्रबंध समिति में निम्न सदस्य होंगे-
(i) विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक बालक के माता-पिता या संरक्षक।
(ii) विद्यालय में कार्यरत सभी अध्यापक।
(iii) स्थानीय निकाय/प्राधिकारी के उस वार्ड, जिसमें कि विद्यालय स्थित है से निर्वाचित वार्ड मेंबर/पंच। (सरपंच नहीं)
(iv) स्थानीय प्राधिकारी/निकाय के उस ग्राम/वार्ड जिसमें विद्यालय स्थित है, में निवास कर रहे सभी निर्वाचित प्रतिनिधि।
● विद्यालय प्रबंध समिति की कार्यकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव ही विद्यालय प्रबंध समिति के क्रमश: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव होंगे।
● SMC का हर 2 वर्ष में पुनर्गठन किया जाएगा।
● SMC प्रत्येक 3 माह में कम से कम एक बैठक करेगी। अर्थात् वर्ष में 4 बैठक अनिवार्य हैं। (स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गाँधी जयंती, मजदूर दिवस/अमावस्या)
● SMC की साधारण सभा की गणपूर्ति (Quorem) कुल सदस्य संख्या का एक तिहाई (33.33%) होगी।
● SMC की कार्यकारी समिति (नियम-4), विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा अपनी कार्यकारी समिति (Executive Committee) का गठन किया जाएगा, जिसमें 16 सदस्य निम्न प्रकार होंगे-
– SMC सचिव – प्रधानाध्यापक (अनुपस्थिति में वरिष्ठतम अध्यापक)
– अध्यक्ष – छात्रों के माता-पिता या अभिभावकों में से।
– छात्रों के अभिभावकों में से SMC द्वारा निर्वाचित 11 सदस्य।
– कार्यकारी समिति के सदस्यों द्वारा मनोनीत एक स्थानीय शिक्षाविद् या विद्यालय का छात्र।
– उक्त कार्यकारी समिति में माता-पिता या अभिभावकों में से चयनित कम से कम 50% सदस्य महिलाएँ होंगी तथा समिति में SC/ST को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
● कार्यकारी समिति की प्रत्येक माह कम से कम एक बैठक होगी। (वर्ष में कम से कम 12 बैठकें) बैठक की गणपूर्ति कुल सदस्य संख्या का 1/3 (अर्थात् 5) होगी।
धारा-22 – विद्यालय विकास योजना।
● विद्यालय विकास योजना 3 वर्षीय योजना होगी, जिसमें तीन वार्षिक उपयोजनाएँ होंगी।
धारा-23 – शिक्षकों की योग्यताएँ एवं सेवा की शर्तें।
● केंद्रीय सरकार द्वारा प्राधिकृत शैक्षिक अभिकरण द्वारा अभिनिर्धारित न्यूनतम योग्यता को धारण करने वाला व्यक्ति स्कूल में शिक्षक नियुक्त किए जाने के योग्य होगा। केंद्र सरकार ने इस धारा के अधीन NCTE को प्राधिकृत शैक्षिक अभिकरण घोषित किया है।
● यदि किसी राज्य में निर्धारित योग्यताधारी व्यक्ति पर्याप्त संख्या में नहीं हैं तो केंद्र सरकार आवश्यक होने पर, अधिसूचना द्वारा शिक्षक की उक्त न्यूनतम योग्यताओं में अधिनियम के लागू होने की तिथि से 9 वर्ष तक (अर्थात् 31 मार्च 2019 तक) के लिए छूट प्रदान कर सकती है।
धारा-24 – शिक्षकों के दायित्व
● (1) – धारा 23(1) के अधीन नियुक्त शिक्षक निम्नलिखित कर्तव्यों का पालन करेगा-
(क) विद्यालय में उपस्थित होने में नियमितता और समय पालन।
(ख) धारा 29(2) के उपबंधों के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित करना और उसे पूरा करवाना।
(ग) विनिर्दिष्ट समय के भीतर सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को पूरा करना।
(घ) प्रत्येक बालक के शिक्षा ग्रहण करने (अधिगम) के सामर्थ्य का मूल्यांकन करना और तद्नुसार यथा अपेक्षित अतिरिक्त शिक्षण, यदि कोई हो, प्रदान करना।
(ड़) बालकों के माता-पिता/संरक्षकों के साथ नियमित बैठकें करना और बालक के बारे में उपस्थिति में नियमितता, शिक्षा ग्रहण करने (अधिगम) की सामर्थ्य, अधिगम में की गई प्रगति और बालक से संबंधित किसी अन्य सुसंगत जानकारी के बारे में उन्हें अवगत करवाना;
(च) ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना, जो विहित किए जाएँ।
(2) यदि कोई शिक्षक धारा-24(1) में विहित कर्तव्यों के पालन में चूक करता है तो उसके विरुद्ध उसे सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान किए जाने के बाद, उस पर लागू सेवा नियमों के तहत् अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
(3) शिक्षकों की शिकायतों, यदि कोई है, तो विहित रीति से दूर किया जाएगा।
धारा-25 – छात्र-शिक्षक अनुपात।
● प्रत्येक विद्यालय में छात्र-शिक्षक अनुपात इस अधिनियम में वर्णित अनुसूची के अनुसार होगा।
● धारा-25(1) – समुचित सरकार/स्थानीय प्राधिकारी इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से 6 माह के अंदर यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात इस अधिनियम की अनुसूची में विनिर्दिष्ट अनुपात के अनुसार बनाए रखा गया है।
● केंद्र सरकार द्वारा 20 जून, 2012 को अधिसूचना द्वारा RTE संशोधन अधिनियम-2012 जो 1 अगस्त, 2012 से प्रवृत्त है, के तहत् उक्त 6 माह की अवधि को बढ़ाकर 3 वर्ष कर दिया गया है।
● धारा-25(2) – उक्त उपधारा-1 के तहत् छात्र : शिक्षक अनुपात बनाए रखने हेतु किसी एक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक को किसी अन्य विद्यालय में सेवा नहीं करने दी जाएगी तथा धारा-27 में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों से भिन्न किसी गैर शैक्षिक प्रयोजन के लिए तैनात नहीं किया जाएगा।
धारा–26 – विद्यालयों में शिक्षकों की रिक्ति (Vacant Post)।
● स्कूलों में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त न हों।
धारा-27 – गैर-शिक्षक प्रयोजनों हेतु शिक्षकों को अभियोजित करने पर प्रतिबंध।
● किसी शिक्षक को 10 वर्षीय जनसंख्या, जनगणना, आपदा राहत कार्यों या स्थानीय प्राधिकारी के या राज्य में विधानमंडलों या संसद के निर्वाचनों से संबंधित कर्तव्यों के अलावा अन्य किसी गैर-शैक्षिक प्रयोजनों के लिए अभिनियोजित नहीं किया जाएगा।
धारा-28 – शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन या प्राइवेट शिक्षण कार्य नहीं करेगा।
Note :– अध्याय-IV-RTE-2009 का सबसे बड़ा अध्याय है।
अध्याय-V प्रारम्भिक शिक्षा का पाठ्यक्रम एवं उसका पूरा किया जाना
धारा-29 – पाठ्यक्रम निर्धारण एवं मूल्यांकन प्रणाली।
● (i) प्रारम्भिक शिक्षा का पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन प्रणाली को समुचित सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट शैक्षिक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
● केंद्रीय सरकार द्वारा इस अधिनियम की धारा 29(1) के तहत् राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (NCERT) को ‘विनिर्दिष्ट शैक्षिक प्राधिकरण’ घोषित किया गया।
● RSCERT उदयपुर की अधिनियम की धारा-29 के लिए राज्य में विनिर्दिष्ट शैक्षणिक प्राधिकारी घोषित किया है। (SIERT का नाम 14 अगस्त, 2018 को SCERT रखा गया।)
● (ii) शैक्षिक प्राधिकरण धारा-29(1) के तहत् पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन प्रणाली के निर्धारण में निम्न को मद्देनजर रखेगा-
(a) संविधान में प्रतिष्ठापित मूल्यों के साथ सामंजस्य।
(b) बालक का सर्वांगीण विकास।
(c) बालक के ज्ञान, क्षमता एवं प्रतिभा का निर्माण करे।
(d) बालक के पूर्ण सीमा तक शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक हो।
(e) अधिगम कार्य आदि बालक केंद्रित, बालकोचित व खोजपूर्ण तरीके से सम्पन्न हों।
(f) शिक्षा का माध्यम जहाँ तक संभव हो, बच्चे की मातृभाषा में हो।
(g) बालक को भय, चिंता, ट्रोमा आदि से मुक्त करें तथा बालक को अपने विचार स्वतंत्रतापूर्वक रखने में मदद करें।
(h) बालक के समझने की शक्ति एवं उसे उपयोग करने की उसकी योग्यता का सतत् एवं समग्र मूल्यांकन (CCE) हो।
धारा-30 – परीक्षा एवं पूर्णता प्रमाण-पत्र
● 30(1) के अनुसार प्रारम्भिक शिक्षा पूरी होने तक किसी बालक द्वारा कोई बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करनी आवश्यक नहीं है।
● 30(2) के तहत् प्रत्येक बालक को जिसने प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण कर ली है, विहित प्रारूप में विनिर्दिष्ट तरीके से एक प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।
अध्याय-VI बाल अधिकारों का संरक्षण
धारा-31 – बालक के शिक्षा के अधिकार की निगरानी।
● बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम-2005 (26 अक्टूबर, 2006 को लागू) की धारा-3 के तहत् गठित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (5 मार्च, 2007) या धारा-17 के अधीन गठित राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (23 फरवरी, 2010), जैसी भी स्थिति हो, उक्त अधिनियम में उन्हें दिए गए कार्यों के अलावा निम्न कार्य भी करेंगे-
(क) इस अधिनियम द्वारा बाल अधिकारों के रक्षापायों का परीक्षण एवं पुनरवलोकन करना एवं उनके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु परामर्श प्रदान करना।
(ख) नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा के बाल अधिकार के संबंध में प्राप्त शिकायतों की जाँच करना एवं
(ग) बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु बाल अधिकारों के संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा-15 एवं 24 के तहत् उपबंधित आवश्यक उपाय करना।
धारा-32 – शिकायतों का निपटारा।
● धारा-31 के अन्तर्विष्ट प्रावधानों के बावजूद भी इस अधिनियम के तहत् बाल अधिकारों के संबंध में किसी भी व्यक्ति को कोई शिकायत हो तो वह अधिकारिता वाले स्थानीय प्राधिकरण को अपनी शिकायत दर्ज करवा सकेगा।
● स्थानीय प्राधिकारी, संबंधित पक्षकारों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान करने के बाद शिकायत का 3 माह के अंदर निपटारा करेगा।
धारा-33 – राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का गठन।
● इस परिषद् में अधिकतम 15 सदस्य हो सकते हैं।
धारा-34 – राज्य सलाहकार परिषद् का गठन।
● इस परिषद् में अधिकतम 15 सदस्य हो सकते हैं।
अध्याय-VII विविध/प्रकीर्ण
धारा-35 – निर्देश जारी करने की केंद्र सरकार की शक्ति।
धारा-36 – धारा-13, 18 व 19 के दण्डनीय अपराध के लिए अभियोजन हेतु मंजूरी, स्वीकृति का प्रावधान।
धारा-37 – SMC के खिलाफ व बाल संरक्षण आयोग कोई वाद/विधिक कार्यवाही संबंधी क्रिया।
धारा-38 – समुचित सरकार अधिनियम में उपबंधों के क्रियान्वयन के लिए नियम अधिसूचना जारी करना।
अनुसूची (धारा 19 एवं 25) | |||
क्र.सं. | मद | मान और मानक | |
1. | शिक्षकों की संख्या(क) प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-5) | प्रवेश दिए गए बालकों की संख्या | शिक्षकों की संख्या |
60 तक | 2 | ||
61-90 के मध्य | 3 | ||
91-120 के मध्य | 4 | ||
121-200 के मध्य | 5 | ||
150 बालकों के ऊपर | 5 शिक्षक + एक प्रधानाध्यापक | ||
200 बालकों के ऊपर | छात्र-शिक्षक अनुपात (प्रधानाध्यापक को छोड़कर 40 से अधिक नहीं होगा) | ||
Note : मूल RTE-2009 के प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 30 : 1 है, यदि छात्रों की संख्या 200 या उससे अधिक होने की स्थिति में प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 40 : 1 होगा। | |||
(ख) उच्च प्राथमिक स्तर(कक्षा 6-8) | (1) कम से कम प्रति कक्षा एक शिक्षक, इस प्रकार होगा कि निम्नलिखित प्रत्येक के लिए कम से कम एक शिक्षक हो-(i) विज्ञान और गणित (ii) सामाजिक अध्ययन (iii) भाषा(2) प्रत्येक 35 बालकों के लिए कम से कम एक शिक्षक (35 : 1)।(3) जहाँ 100 से ऊपर बालकों को प्रवेश दिया गया है, वहाँ-(अ) पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक(ब) निम्नलिखित के लिए अंशकालिक शिक्षक- कला शिक्षा- स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा- कार्य शिक्षा | ||
2. | भवन (अवसंरचना मानदण्ड) | सभी मौसम वाले भवन, जिसमें निम्नलिखित होंगे-(i) प्रत्येक शिक्षक के लिए कम से कम एक कक्षा और एक कार्यालय-सह भण्डार-सह प्रधान अध्यापक कक्ष।(ii) बाधामुक्त पहुँच।(iii) लड़कों और लड़कियों के लिए पृथक शौचालय।(iv) सभी बालकों के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पेय।(v) रसोई जहाँ दोपहर का भोजन विद्यालय में पकाया जाए।(vi) खेल का मैदान।(vii) सीमा दीवार या बाड़े द्वारा विद्यालय भवन की सुरक्षा करने के लिए व्यवस्थाएँ | |
3. | एक शैक्षणिक वर्ष में कार्य दिवस/शिक्षण घण्टों की न्यूनतम संख्या | (i) कक्षा 1 से 5 के लिए 200 कार्य दिवस।(ii) कक्षा 6 से 8 के लिए 220 कार्य दिवस।(iii) कक्षा 1 से 5 के लिए प्रति शैक्षणिक वर्ष 800 शिक्षण घंटे।(iv) कक्षा 6 से 8 के लिए प्रति शैक्षणिक वर्ष 1000 घण्टे। | |
4. | शिक्षक के लिए प्रति सप्ताह कार्य घण्टों की न्यूनतम संख्या। | 45 शिक्षण घण्टे जिसके अंतर्गत तैयारी के घण्टे भी हैं। | |
5. | अध्यापन शिक्षण उपस्कर | प्रत्येक कक्षा के लिए यथा अपेक्षित उपलब्ध करवाए जाएंगे। | |
6. | पुस्तकालय | प्रत्येक विद्यालय में एक पुस्तकालय होगा, जिसमें समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ और सभी विषयों पर पुस्तकें, जिसके अंतर्गत कहानी की पुस्तकें भी हैं, उपलब्ध होंगी। | |
7. | खेल सामग्री, खेल और क्रीड़ा उपस्कर | प्रत्येक कक्षा को यथा अपेक्षित उपलब्ध करवाए जाएंगे। |
महत्त्वपूर्ण तथ्य
● संयुक्त राष्ट्र संघ के “बाल अधिकार चार्टर” अधिनियम में 18 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा देने की बात कही गई।
● सार्जेण्ट योजना (1944) – जॉन सार्जेण्ट अध्यक्षता
● भारतीय शिक्षा आयोग/कोठारी शिक्षा आयोग (1964-66)
– 14 वर्ष की आयु तक नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा पर बल दिया।
– दौलतसिंह कोठारी (उदयपुर के वैज्ञानिक)
● प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (24 जुलाई, 1968) –
राष्ट्रपति – डॉ. जाकिर हुसैन
प्रधानमंत्री – इंदिरा गाँधी
14 वर्ष के बालक को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा देने पर बल।
● राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986)
राष्ट्रपति – ज्ञानी जैल सिंह
प्रधानमंत्री – राजीव गाँधी
● नई शिक्षा नीति (2020) – मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर ‘शिक्षा मंत्रालय’ रखा।
● राष्ट्रीय शिक्षा दिवस – 11 नवम्बर (मौलाना अब्दुल कलाम आजाद की स्मृति में)
प्रथम शिक्षा दिवस – 11 नवम्बर, 2008
● शिक्षक दिवस – 5 सितम्बर (डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् की याद में)
● अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस – 5 अक्टूबर (सर्वप्रथम शुरुआत अर्जेण्टीना-1915)
● ‘शिक्षा’ वर्तमान में समवर्ती सूची का विषय है। 42वें संविधान संशोधन, 1976 के द्वारा शिक्षा को राज्यसूची से हटाकर समवर्ती सूची में जोड़ा गया। (प्रधानमंत्री – इंदिरा गाँधी)
● UNESCO की 21वीं सदी की शिक्षा संबंधी रिपोर्ट का शीर्षक – लर्निंग द ट्रेजर विदिन।
● RTE न्याय योग्य व वाद योग्य नहीं है।