Rajasthan ki sabhyata

रंगमहल सभ्यता – हनुमानगढ़ || Rangmahal Sabhyata

रंगमहल सभ्यता – हनुमानगढ़

Rangmahal Sabhyata

  • रंगमहल हनुमानगढ़ जिले में सरस्वती (वर्तमान में घग्घर) नदी के पास स्थित है।
  • यह एक ताम्रयुगीन सभ्यता है।
  • यहाँ पर उत्खनन कार्य डॉ. हन्नारिड के निर्देशन में स्वीडिश दल द्वारा वर्ष 1952-54 ई. में किया गया।
  • ये मृद्भांपड चाक से बने होते थे तथा ये पतले तथा चिकने होते थे।
  • यहाँ से कुषाणकालीन तथा उससे पहले की 105 तांबे की मुद्राएँ प्राप्त हुई है जिनमें कुछ पंचमार्क मुद्राएं भी है।
  • यहाँ से ब्राह्मी लिपि में नाम अंकित दो कांसे की सीलें भी प्राप्त हुई है।
  • यहाँ से उत्खनन में डॉ. हन्नारिड को प्राप्त मिट्‌टी का कटोरा स्वीडन के लूण्ड संग्रहालय में सुरक्षित है।
  • यहाँ के निवासी मुख्य रूप से चावल की खेती करते थे।
  • यहाँ के मकानों का निर्माण ईटों से होता था।
  • यहाँ से प्राप्त मृद्भांाड मुख्यत: लाल या गुलाबी रंग के थे।
  • यहाँ से गांधार शैली की मृणमूर्तियाँ, टोटीदार घड़े, घण्टाकार मृद्पात्र एवं कनिष्क कालीन मुद्राएं प्राप्त हुई हैं।
  • रंगमहल से ही गुरु-शिष्य की मिट्‌टी की मूर्ति प्राप्त हुई है।
  • इसे कुषाणकालीन सभ्यता के समान माना जाता है।
  • रंगमहल में बसने वाली बस्तियों के तीन बार बसने एवं उजड़ने के प्रमाण मिले हैं।
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