महाराणा उदय सिंह (1537 – 1572 ई.)
Maharana Udai Singh
- – यह महाराणा सांगा व रानी कर्णावती का ज्येष्ठ पुत्र था।
- – उदय सिंह मावली के युद्ध (1540 ई.) में बनवीर को पराजित कर राजा बना था।
- – उदय सिंह ने 1543 ई. में अफगान शासक शेरशाह सूरी को चितौड़ दुर्ग की चाबियाँ सौंपकर उसका प्रभुत्व स्वीकार कर लिया। शेरशाह ने अपना राजनीतिक प्रभाव बनाए रखने के लिए खवास खाँ को चितौड़ में रखा।
- – अफगानों की अधीनता स्वीकार करने वाला मेवाड़ का पहला शासक उदय सिंह था।
- – 1557 ई. में रंगराय वैश्या के कारण उदय सिंह व अजमेर के हाकीम हाजी खाँ के मध्य ‘हरमाड़ा का युद्ध’ हुआ।
- – 1559 ई. में राणा उदय सिंह ने उदयपुर नगर बसाया व ‘उदयसागर झील’ का निर्माण करवाया।
- – अकबर ने 1567 ई. में चित्तौड़ अभियान शुरू किया, क्योंकि उदय सिंह ने मालवा के बाज बहादुर व मेड़ता के जयमल को शरण दी थी।
अकबर का चित्तौड़ आक्रमण (1567 – 1568 ई.) –
- – इस दौरान उदय सिंह किले की रक्षा का भार जयमल और फत्ता को सौंपकर गिरवा की पहाड़ियों (उदयपुर) में चला गया।
- – चित्तौड़ के किले की दीवार की मरम्मत करते समय जयमल, अकबर की ‘संग्राम’ नामक बंदूक की गोली से घायल हो गया था।
- – जयमल ने कल्ला राठौड़ के कंधे पर बैठकर युद्ध किया। इसलिए कल्ला राठौड़ को ‘चार हाथों वाला देवता’ कहा जाता है।
- – जयमल राठौड़ व फत्ता सिसोदिया लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए तथा फत्ता की पत्नी रानी फूल कंवर के नेतृत्व में 1568 ई. में जौहर हुआ। यह चित्तौड़ का तीसरा साका था। फूलकंवर जयमल की बहन तथा फत्ता की रानी थी। फत्ता आमेट ठिकाना (मेवाड़) का सामन्त था। जयमल मेड़ता का राजा था। अकबर ने 1562 ई. में मेड़ता पर अधिकार कर लिया था।
- – फरवरी, 1568 में अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर अधिकार कर लिया।
- – अकबर ने आगरा के दुर्ग के बाहर जयमल व फत्ता की मूर्तियाँ लगवाई । उनकी मूर्तियाँ जूनागढ़ दुर्ग (बीकानेर) के बाहर भी स्थित है। फ्रांसीसी यात्री बर्नियर ने अपनी किताब ‘Travels in the Mughal Empire’ में इन मूर्तियों का वर्णन किया है।
- – 28 फरवरी, 1572 में होली के दिन गोगुन्दा (उदयपुर) में उदय सिंह की मृत्यु हो गई। उदय सिंह की छतरी गोगुन्दा में है।
- – उदय सिंह ने अपने प्रिय मटियाणी रानी के पुत्र जगमाल सिंह को युवराज नियुक्त किया था, जबकि महाराणा प्रताप उदय सिंह का सबसे बड़ा एवं योग्य पुत्र (जयवन्ती बाई की कोख से) था।
- – कर्नल टॉड के अनुसार, यदि सांगा व प्रताप के बीच में उदय सिंह न होता तो मेवाड़ के इतिहास के पन्ने अधिक उज्ज्वल होते।