Rajasthan History

भरतपुर राज्य का इतिहास

भरतपुर राज्य का इतिहास

  • राजस्थान के पूर्वी भाग-भरतपुर, धौलपुर, डीग आदि क्षेत्रों पर जाट वंश का शासन था। यहाँ जाट शक्ति का उदय औरंगजेब के शासन काल से हुआ था।
  • धीरे-धीरे जाट शक्ति संगठित होती गई और औरंगजेब की मृत्यु के आसपास जाट सरदार चूड़ामन ने थून में किला बनाकर अपना राज्य स्थापित कर लिया था।
  • चूड़ामन के बाद बदनसिंह को जयपुर नरेश सवाई जयसिंह ने डीग की जागीर दी एवं ‘ब्रजराज‘ की उपाधि प्रदान की।
  • बदनसिंह के पुत्र सूरजमल ने सोधर के निकट दुर्ग का निर्माण करवाया जो बाद में भरतपुर केशव दुर्ग के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बदनसिंह ने उसे अपनी राजधानी बनाया। इसने जीते जी अपने पुत्र सूरजमल को शासन की बागडोर सौंप दी।
  • सूरजमल ने डीग के महलों का निर्माण करवाया। सूरजमल ने 12 जून, 1761 ई. को आगरे के किले पर अधिकार कर लिया। वह 1763 ई. में नजीब खाँ रोहिला के विरूद्ध हुए युद्ध में मारा गया।
  • उसके बाद उसका पुत्र जवाहरसिंह भरतपुर का राजा बना। इसने विदेशी लड़ाकों की एक पेशेवर सेना तैयार की। 29 सितम्बर, 1803 ई. में यहाँ के शासक रणजीतसिंह ने अंग्रेजों से सहायक संधि कर ली। स्वतंत्रता के बाद भरतपुर का मत्स्य संघ में विलय हुआ जो 1949 में राजस्थान में शामिल हो गया।
READ MORE about  राणा भूपाल / भोपालसिंह (1930 -1947 ई.) || Rana Bhupal Singh

About the author

thenotesadda.in

Leave a Comment

You cannot copy content of this page