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गणेश्वर सभ्यता – सीकर || Ganeshwar sabhyata

गणेश्वर सभ्यतासीकर

Ganeshwar sabhyata

  • सीकर जिले में नीम का थाना स्थान से कुछ दूरी पर स्थित गणेश्वर से उत्खनन में ताम्रयुगीन उपकरण प्राप्त हुए हैं।
  • यह स्थान कांतली नदी के किनारे स्थित है।
  • गणेश्वर को पूर्व हड़प्पा कालीन सभ्यता माना जाता है।
  • डी.पी. अग्रवाल ने रेडियोकार्बन विधि एवं तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर इस स्थल की तिथि 2800 ईसा पूर्व निर्धारित की।
  • गणेश्वर को ‘पुरातत्त्व का पुष्कर’ भी कहा जाता है।
  • भारत में पहली बार किसी स्थान से इतनी मात्रा में ताम्र उपकरण प्राप्त हुए हैं।
  • गणेश्वर से तांबे का बाण एवं मछली पकड़ने का कांटा प्राप्त हुआ है।
  • गणेश्वर के उत्खनन से लगभग 2000 ताम्र आयुध व ताम्र उपकरण प्राप्त हुए हैं।
  • इन उपकरणों में तीर, भाले, सूइयां, कुल्हाड़ी, मछली पकड़ने के कांटे आदि शामिल हैं।
  • गणेश्वर को भारत में ‘ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी’ कहा जाता है।
  • यहाँ पर उत्खनन कार्य रत्नचंद्र अग्रवाल द्वारा वर्ष 1977 में तथा विस्तृत उत्खनन वर्ष 1978-79 में विजय कुमार द्वारा करवाया गया।
  • गणेश्वर से उत्खनन में जो मृद्भांपड प्राप्त हुए है उन्हें कपिषवर्णी मृद्पात्र कहते हैं।
  • गणेश्वर से मिट्‌टी के छल्लेदार बर्तन भी प्राप्त हुए हैं।
  • गणेश्वर से काले एवं नीले रंग से अलंकृत मृद्पात्र मिले हैं।
  • गणेश्वर में बस्ती को बाढ़ से बचाने हेतु वृहदाकार पत्थर के बाँध बनाने के प्रमाण मिले हैं।
  • गणेश्वर में ईंटों के उपयोग के प्रमाण नहीं मिले हैं।
  • मिट्‌टी के छल्लेदार बर्तन केवल गणेश्वर में ही प्राप्त हुए हैं।
  • गणेश्वर सभ्यता के उत्खनन से दोहरी पेचदार शिरेवाली ताम्रपिन भी प्राप्त हुई है।
  • गणेश्वर सभ्यता के लोग गाय, बैल, बकरी, सूअर, कुत्ता, गधा आदि पालते थे।
  • गणेश्वर सभ्यता को ‘ताम्र संचयी संस्कृति’ भी कहा जाता है।
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