Rajasthan History Rajasthan ki sabhyata

बैराठ सभ्यता – जयपुर || Bairath sabhyata

बैराठ सभ्यता – जयपुर

Bairath sabhyata

  • बैराठ जयपुर जिले में शाहपुरा उपखण्ड में बाणगंगा नदी के किनारे स्थित लौहयुगीन स्थल है।
  • बैराठ का प्राचीन नाम ‘विराटनगर’ था। महाजनपद काल में यह मत्स्य जनपद की राजधानी था।
  • यहाँ पर उत्खनन कार्य वर्ष 1936-37 में दयाराम साहनी द्वारा तथा वर्ष 1962-63 में नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
  • 1837 ई. में कैप्टन बर्ट ने यहाँ से मौर्य सम्राट अशोक के भाब्रू शिलालेख की खोज की। वर्तमान में यह शिलालेख कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित है।
  • भाब्रू शिलालेख में सम्राट अशोक को ‘मगध का राजा’ नाम से संबोधित किया गया है।
  • भाब्रू शिलालेख के नीचे बुद्ध, धम्म एवं संघ लिखा हुआ है।
  • बैराठ में बीजक की पहाड़ी, भीमजी की डूँगरी तथा महादेवजी की डूँगरी से उत्खनन कार्य किया गया।
  • यहाँ से मौर्यकालीन तथा इसके बाद के समय के अवशेष मिले हैं।
  • यहाँ से 36 मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं जिनमें 8 पंचमार्क चाँदी की तथा 28 इण्डो-ग्रीक तथा यूनानी शासकों की हैं। 16 मुद्राएँ यूनानी शासक मिनेण्डर की है।
  • उत्तर भारतीय चमकीले मृद्‌भांड वाली संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले राजस्थान में सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन स्थल बैराठ है।
  • वर्ष 1999 में बीजक की पहाड़ी से अशोक कालीन गोल बौद्ध मंदिर, स्तूप एवं बौद्ध मठ के अवशेष मिले हैं जो हीनयान सम्प्रदाय से संबंधित है।
  • बैराठ सभ्यता के लोगों का जीवन पूर्णत: ग्रामीण संस्कृति का था।
  • बैराठ में पाषाणकालीन हथियारों के निर्माण का एक बड़ा कारखाना स्थित था।
  • यहाँ भवन निर्माण के लिए मिट्‌टी की बनाई ईंटों का प्रयोग अधिक किया जाता था।
  • यहाँ पर शुंग एवं कुषाण कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • बैराठ सभ्यता के लोग लौह धातु से परिचित थे। यहाँ उत्खनन से लौहे के तीर तथा भाले प्राप्त हुए हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि हूण शासक मिहिरकुल ने बैराठ को नष्ट कर दिया।
  • 634 ई. में ह्वेनसांग विराटनगर आया था तथा उसने यहाँ बौद्ध मठों की संख्या 8 बताई है।
  • बैराठ से ‘शंख लिपि’ के प्रमाण प्रचुर मात्रा में प्राप्त हुए हैं।
  • यहाँ से मुगलकाल में टकसाल होने के प्रमाण मिलते है। यहाँ मुगल काल में ढाले गए सिक्कों पर ‘बैराठ अंकित’ मिलता है।
  • यहाँ बनेड़ी, ब्रह्मकुण्ड तथा जीणगोर की पहाड़ियों से वृषभ, हरिण तथा वनस्पति का चित्रण प्राप्त होता है।
READ MORE about  महाराणा रतन सिंह (1528 - 1531 ई.) || Maharana Ratan Singh

About the author

thenotesadda.in

Leave a Comment

You cannot copy content of this page