Indian Polity

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

पृष्ठभूमि –

–     मानवाधिकार वो अधिकार है जो प्राकृतिक रूप से मानव को जन्म लेते ही प्राप्त होता है अर्थात् ऐसे अधिकार जो हर व्यक्ति को मानव होने के नाते प्राप्त होते हैं उसे हम मानव अधिकार कहते हैं जैसे- राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक अधिकार (भोजन, वस्त्र, आवास)।

      नोट:-  मानवाधिकारों के जनक – प्रोफेसर हेनकीन

–     विश्व में इन अधिकारों के संदर्भ में “मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा” एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जिसको संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को पेरिस में अपनाया गया व इसके द्वारा ही पहली बार मानव अधिकारों को सुरक्षित करने का प्रयास किया गया था।

–     यही कारण है कि प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को “मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा” की सालगिरह के रूप में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।

–     20 दिसंबर, 1993 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु पेरिस सिद्धांत को अपनाया था। उल्लेखनीय है कि इस सिद्धांत में मानवाधिकार संस्थाएँ स्थापित करने के साथ मानवाधिकार आयोग को एक स्वायत्त एवं स्वतंत्र संस्था बनाने पर बल दिया गया।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग –

–     राष्ट्रपति ने 1993 में एक अध्यादेश जारी करते हुए मानवाधिकार को भारत में परिभाषित किया। जिसके अनुसार, भारतीय संविधान के द्वारा व्यक्तियों को दिए गए जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा की रक्षा करना तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियों को भारत में लागू करना एक लोकतांत्रिक राज्य में मानवाधिकारों की रक्षा करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत दुनिया के विशाल लोकतंत्र में से एक है। भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का व्यापक उल्लेख है। भारत में मानवाधिकार आयोग की स्थापना पेरिस मानदण्डों के अनुसार हुई। यह आयोग गैर संवैधानिक निकाय है।

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–     भारत में इस प्रकार 12 अक्टूबर, 1993 को नई दिल्ली में श्री रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया गया था।

–     वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग संघ सूची व समवर्ती सूची के उन मामलों की जाँच कर सकता है जो एक वर्ष से अधिक पुराने मामले नहीं हो। 

संरचना

–     राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक अध्यक्ष तथा पाँच अन्य सदस्य होते हैं। इन सदस्यों में एक महिला का होना आवश्यक है।

–     ये सदस्य निम्न होते हैं-

      1. अध्यक्ष- भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश 

      2. उच्चतम न्यायालय का एक न्यायाधीश(पूर्व या वर्तमान)।

      3. उच्च न्यायालय का एक मुख्य न्यायाधीश (पूर्व या वर्तमान)।

      4. तीन ऐसे सदस्य जिन्हें मानवाधिकार के बारे में व्यावहारिक ज्ञान हो।

–     राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इन सदस्यों के अलावा सात अन्य पदेन सदस्य होते हैं-

      1. अध्यक्ष- अल्पसंख्यक आयोग का

      2. अध्यक्ष- अनुसूचित जाति आयोग

      3. अध्यक्ष- अनुसूचित जनजाति आयोग

      4. अध्यक्ष- राष्ट्रीय महिला आयोग

      5. अध्यक्ष- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग

      6. अध्यक्ष- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

      7. मुख्य दिव्यांग जन आयुक्त

सदस्यों की नियुक्ति

–     इस आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। इस समिति में निम्न लोग होते हैं-

      1. प्रधानमंत्री- अध्यक्ष

      2. गृहमंत्री

      3. लोकसभा अध्यक्ष

      4. राज्यसभा का उपसभापति

      5. लोकसभा का विपक्ष के नेता

      6. राज्यसभा का विपक्ष के नेता

कार्यकाल

–     इस आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्षों या 70 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो, तक होता है।

–     ये पुनर्नियुक्ति के योग्य होते हैं।

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त्यागपत्र

–     राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य अपने कार्यकाल से पहले भी अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप करके सेवा मुक्त हो सकते हैं।

मानवाधिकार आयोग संशोधन 2019

–     संसद द्वारा पारित मानवाधिकार संरक्षण संशोधन, 2019 में परिवर्तन किए गए हैं संशोधित अधिनियम के अंतर्गत अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अध्यक्षता पहले केवल उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों तक सीमित थी अब नहीं रहेगी। मानवाधिकार संरक्षण संशोधन, 2019 के तहत न्यायालय के किसी भी सेवानिवृत न्यायाधीश को यह पदभार सौंपा जा सकता है।

–     मानवाधिकार आयोग अधिनियम में दो ऐसे सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान था जिन्हें मानवाधिकारों के क्षेत्र की व्यापक समझ एवं ज्ञान हो। इस संशोधन के बाद इसे बढ़ाकर तीन कर दिया गया है, इसमें कम-से-कम एक महिला सदस्य का होना आवश्यक है।

–     मानवाधिकार आयोग में पहले अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष अवधि अथवा 70 वर्ष आयु था। इस संशोधन के तहत अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष अवधि अथवा 70 वर्ष आयु (जो भी पहले) हो होता है।

आयोग के सदस्यों को पद से हटाना

–     आयोग के सदस्यों को राष्ट्रपति उनके पद से हटा सकता है।

–     राष्ट्रपति इस आयोग के सदस्यों को सिद्ध कदाचार के आधार पर हटाता है। हालाँकि सिद्ध कदाचार की जाँच उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाएगी और उच्चतम न्यायालय का इस संदर्भ में जो प्रतिवेदन प्राप्त होगा उसको राष्ट्रपति मानने को बाध्य होगा।

वार्षिक रिपोर्ट या प्रतिवेदन

–     राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट को राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाता है।

क्र..नामपदभार ग्रहण करने की तिथिपद त्याग करने की तिथि
1.न्यायमूर्ति श्री रंगनाथ मिश्रा (अध्यक्ष)12.10.199324.11.1996
2.न्यायमूर्ति श्री एम एन वेंकटचलैया (अध्यक्ष)26.11.199624.10.1999
3.न्यायमूर्ति श्री जे एस वर्मा (अध्यक्ष)04.11.199917.1.2003
4.डॉ न्यायमूर्ति ए एस आनंद (अध्यक्ष)17.2.200331.10.2006
5.न्यायमूर्ति डॉ शिवराज वी.पाटिल (कार्यवाहक अध्यक्ष)01.11.200601.04.2007
6.श्री न्यायमूर्ति एस राजेन्द्र बाबू (अध्यक्ष)02.04.200731.05.2009
7.श्री न्यायमूर्ति गोविन्द प्रसाद माथुर (कार्यवाहक अध्यक्ष)01.06.200906.06.2010
8.न्यायमूर्ति श्री के जी बालाकृष्णन (अध्यक्ष)07.06.201011/05/2015
9.न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी (सदस्य)03.11.199324.01.1997
10.न्यायमूर्ति श्री एस एस कंग (सदस्य)12.10.199324.01.1997
11.श्री वीरेंद्र दयाल (सदस्य)12.10.1993 (1st term) & 16.11.98 (2nd term)11.10.1998 (1st term) & 15.11.03 (2nd term)
12.न्यायमूर्ति श्री वी एस मालिमत (सदस्य)14.09.199411.06.1999
13.न्यायमूर्ति डॉ के रामास्वामी (सदस्य)16.11.199812.07.2002
14.श्री सुदर्शन अग्रवाल (सदस्य)30.10.199818.06.2001
15.न्यायमूर्ति श्रीमती सुजाता वी मनोहर (सदस्य)21 .02.200027.08.2004
16.न्यायमूर्ति डॉ शिवराज वी. पाटिल (सदस्य)03.02.2005 & 02.04.200731.10.2006 & 04.02.2008
17.न्यायमूर्ति याराबती भास्कर राव (सदस्य)10.10.200325.06.2008
18.श्री आर एस कलहा (सदस्य)12.9.200311.9.2008
19.श्री पी सी शर्मा (सदस्य)03.03.2004 (1st tenure) & 25.03.2009 (2nd tenure)02.03.2009 (1st tenure) & (27.06.2012) 2nd tenure
20.श्री न्यायमूर्ति गोविन्द प्रसाद माथुर (सदस्य)15.04.200818.01.2013
21.श्री न्यायमूर्ति बाबूलाल चंदूलाल पटेल (सदस्य)23.07.200822.07.2013
22.श्री सत्यब्रत पाल (सदस्य)02.03.200901 .03.2014
23.श्री न्यायमूर्ति सीरिअस जोसफ (सदस्य)27.05.201327.01.2017
24.श्री शरद चंद्र सिन्हा (सदस्य)08.04.201307.04.2018
25.श्री न्यायमूर्ति ध. मुरुगेसन (सदस्य)21.09.201320.09.2018
26.श्री न्यायमूर्ति एच एल दत्तू (अध्यक्ष)29.02.201602.12.2020
27.श्री न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा (अध्यक्ष)जून 2021वर्तमान
28.महेश मित्तल कुमार (सदस्य)जून 2021वर्तमान
29.डॉ. राजीव जैन (सदस्य)जून 2021वर्तमान

–     राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में ज्ञापन के साथ रखवाता है।

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आयोग के कार्य-

      1. आयोग का मूल कार्य मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच करना है। यह भी देखना है कि लोक सेवकों के द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन को रोकने में लापरवाही न हो।

      2. मानवाधिकारों के उल्लंघन का आशय, ऐसे आपराधिक कृत्य हैं जिसमें किसी को प्रताड़ित करना, हत्या करना, बलात्कार करना सम्मिलित हैं।

      3. मानवाधिकारों की रक्षा का आयोग के द्वारा पुनरावलोकन किया जाता है, तथा उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सलाह दी जाती है।

      4. अंतर्राष्ट्रीय संधियों और दस्तावेजों का अध्ययन करके उन्हें प्रभावी रूप में लागू करने का प्रयास किया जाता है।

      5. मानवाधिकार के संबंध में अनुसंधान ।

      6. मानवाधिकार के संबंध में जागरूकता पैदा करना।

      7. मानवाधिकार से संबंधित गैर-सरकारी संगठनों को सहायता देना।

      8. आयोग किसी भी व्यक्ति को गवाही के लिए बुला सकता है तथा कोई भी दस्तावेज मांग सकता है।

      9. जेलों का निरीक्षण, विधायिका के कानूनों की समीक्षा आदि प्रमुख कार्य हैं।

मानवाधिकार आयोग और इसके समक्ष चुनौतियाँ-

–     मानवाधिकार आयोग की कार्य सीमा में सैन्य एवं अर्द्ध सैनिक बलों को अलग रखा गया।

–     आयोग के पास जाँच करने के लिये कोई भी विशेष तंत्र नहीं है।

–     आयोग के पास किसी भी मामले के संबंध में मात्र सिफारिश करने का ही अधिकार है, वह किसी को निर्णय लागू करने के लिये बाध्य नहीं कर सकता। कई बार धन की अपर्याप्तता भी NHRC के कार्य में बाधा डालती है।

–     NHRC उन शिकायतों की जाँच नहीं कर सकता जो घटना होने के एक साल बाद दर्ज कराई जाती हैं और इसीलिए कई शिकायतें बिना जाँच के ही रह जाती हैं

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