Hindi Grammar

मुहावरे

अंगारों पर पैर रखना – संकट में पड़ जाना।
घोड़े बेच कर सोना – काम से उदासीन रहकर निश्चित होकर समय बिताना।
छठी का दूध याद आना – सम्पूर्ण शक्ति लगाने पर सफलता में संदेह होना।
चुल्लू भर पानी में डूब जाना – लज्जा और ग्लानि का तीव्र अनुभव करना।
अपना उल्लू सीधा करना – स्वार्थ सिद्ध करना।
खून खौल उठना – अत्यधिक क्रोध आना।
बाल बाँका न होना – कुछ भी अनिष्ट न होना।
हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना – निष्क्रिय बन जाना।
लोहे के चने चबाना – कठिनाई में पड़ जाना।
नकेल हाथ में होना – सभी तरह का अधिकार होना।
रौंगटे खड़े होना – डर जाना।
मुट्ठी गरम करना – रिश्वत देना।
आटे-दाल का भाव मालूम होना – जीवन जीने का अनुभव होना।
कलेजा मुँह को आना – घबरा जाना या शोक का चरम सीमा पर होना।
आकाश के तारे तोड़ना – असंभव कार्य को भी संभव बना देना।
अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – स्वयं अपना अहित करना।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – अपनी बड़ाई स्वयं करना।
खाक में मिलाना – नष्ट कर देना।
टेक निभाना – वादा पूरा करना।
पहाड़ टूटना – भयंकर आपत्ति आ जाना।
भूत सवार होना – सनक बैठ जाना, हठ पकड़ लेना।
दाल में काला होना – कुछ संदेह की बात होना।
छाती पर मूँग दलना – पास रहकर कष्ट पहुँचाना। 
हाथ मलना – पछताना।
आसमान सिर पर उठाना – बहुत शोर-गुल करना।
राई का पहाड़ बनाना – थोड़ी-सी बात को बढा-चढ़ाकर कहना।
आस्तीन का साँप होना – धोखेबाज या विश्वासघाती होना।
एड़ी-चोटी का जोर लगाना – पूरी शक्ति लगा देना।
ऊँगली पर नाचना – इशारे पर चलना।
कमर कसना – तैयार होना।
काया पलट होना – सर्वथा बदल जाना।
कानों कान खबर न होना-किसी को कुछ भी ज्ञात न होना।
किस खेत की मूली-नगण्य व्यक्ति।
किसी का घर जला कर अपना हाथ सेंकना-अपने छोटे से स्वार्थ के लिए दूसरों को हानि पहुँचाना।
दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना-दूसरे को माध्यम बनाकर कोई काम करना।
कुत्ते की नींद सोना- हल्की नींद लेना।
कुत्ते की मौत मरना-बुरी दशा में प्राणान्त होना।
कोल्हू का बैल-परिश्रम करते हुए निरंतर पिसते रहना।
थोथा चना बाजे घना-अल्पज्ञ का बढ़-बढ़ कर बात करना।
खूँटे के बल कूदना-किसी अन्य व्यक्ति की सहायता पर अभिमान करना।
पाँवों में बेड़ी पड़ जाना-विवाह हो जाना या बंधन में बंध जाना।
बाल बाँका न होना-किंचित् भी हानि न होना।
उँगली पकड़ कर पौंचा पकड़ना-धीरे-धीरे अधिकार कर लेना।
एक और ग्यारह होना-मेल करके शक्ति प्राप्त कर लेना।
कान कतरना-अत्यधिक चतुर होना।
गढ़े मुर्दे उखाड़ना-पिछली बातों को याद करना।
गुड़ गोबर करना-सब किये-कराये को नष्ट या बर्बाद कर देना।
गुदड़ी का लाल-छिपी हुई अमूल्य वस्तु।
घी के दिये जलाना-बहुत खुशियाँ मनाना।
चिकना घड़ा-प्रभावहीन व्यक्तित्व।
धरती पर पाँव न पड़ना-फूला न समाना या अधिक हर्षित होना।
पेट पर लात मारना-आजीविका के साधन से अलग कर देना।
पापड़ बेलना-विषम परिस्थितियों से गुजरना।
बे-पेंदी का लौआ होना-स्थिर विचारों का न होना।
बहती गंगा में हाथ धोना-सुअवसर पाकर लाभांवित होना।
भली थाली में लात मारना-जीविकोपार्जन के साधन को पाकर भी ठुकरा देना।
भंग की तरंग में रहना-मदहोशी में रहना।
मुँह में राम बगल में छुरी-मुँह से मीठी बातें करना और हृदय में कपट रखना।
रंग में भंग होना-प्रसन्नता के समय अचानक विघ्न उपस्थिति हो जाना।
रंगा सियार-धोखेबाज व्यक्ति।
लाल-पीला होना-गुस्सा होना।
लोहे के चने चबाना-मुसीबतों से संघर्ष करना।
लोहे को लोहा काटता है-बुराई को बुराई से ही दूर किया जा सकता है।
लातों के भूत बातों से नहीं मानते हैं-दुष्ट व्यक्ति सीधे समझाने से नहीं मानता है।
भेड़ की खाल में भेड़िया होना – देखने में सरल पर वास्तव में खतरनाक।
भैंस के आगे बीन बजाना-मूर्ख के समक्ष बुद्धिमान की बातें करना।
मियाँ की जूती मियाँ की चाँद-किसी मनुष्य की वस्तु से उसी को हानि पहुँचाना।
सर-आँखों पर बिठाना-बहुत आदर सत्कार करना।
सिर मुँडाते ही ओले पड़ना-कार्यारम्भ में ही विघ्न पड़ जाना।
साँप के मुँह में उँगली देना-जान-बूझकर मुसीबत मोल ले लेना।
सोने की चिड़िया-धनवान व्यक्ति होना।
हिरन हो जाना-दूर हो जाना या भाग जाना।
हाथ का मैल-तुच्छ वस्तु होना।
हाथ धोकर पीछे पड़ना-कार्य में तत्परता दिखलाना।
शोले भड़काना-अशांति फैलाना।
लुटिया डुबो देना-काम बिगाड़ देना या अपयश का काम करना।
हवा के घोड़े पर सवार होना-बहुत जल्दी में होना या जल्दबाजी करना।
हवा का रुख देखना-समय की गति पहचान कर काम करना।
हाथों के तोते उड़ जाना-भौंचक्का रह जाना।
नाक पर सुपारी तोड़ना-बहुत तंग करना।
अपनी करनी पार उतरनी-कर्म़ों का फल प्राप्त करना।
न घर का न घाट का-किसी तरफ का न होना।
घुटने टेकना-समर्पण करना।
लोहा लेना-सामना करना।
अंगूठा दिखा देना-इनकार करना।
लोहा मानना – बहादुरी स्वीकार करना।
मिट्टी में मिल जाना – बर्बाद होना।
नाक रगड़ना – खुशामद करना।
अंग-अंग ढीले हो जाना – अत्यधिक थक जाना।
अढ़ाई चावल की खिचड़ी पकाना – अपनी राय अलग रखना।
अक्ल पर पत्थर पड़ना – कुछ भी समझ में न आना।
शबरी के बैर – तुच्छ भेंट या प्रेमपूर्वक दी गई तुच्छ भेंट।
अंगारे बरसाना – क्रोध से भरपूर होना।
आँखों में धूल झौंकना – धोखा देना।
आँखें बिछाना – सत्कार करना।
आँख उठाना – साहस करना।
आँख में चर्बी छाना – मदान्ध होना।
आँचल में बात बाँधना – किसी बात को अच्छी तरह स्मरण रखना।
आँसू पी जाना – भीतर ही भीतर रोना और दुःख प्रकट करना।
आकाश-पाताल एक करना – अत्यधिक प्रयास करना।
आग की तरह फैल जाना – तेजी से फैलना।
आग में घी डालना – किसी के आवेश को और बढ़ाना।
आकाश का फूल होना – अप्राप्य वस्तु होना।
आँख फूटी पीर गई – विपत्ति या शौक के कारण का दूर होना।
आठ वार नौ त्यौहार – सदैव आनन्द मंगल होना।
अरण्य रोदन – व्यर्थ प्रयत्न करना।
आँख का काजल चुराना – गुप्त भावों को जान लेना।
आँखों से गिरना – अपमानित व लांछित होना।
आठ-आठ आँसू गिराना – पश्चाताप करना।
आस्तीन का साँप होना – कपटी मित्र।
ईद का चाँद होना – दुर्लभ होना।
ईट से ईट बजाना – बर्बाद कर देना।
उल्टे छुरे से मूँडना – धोखे से काम निकालना।
उड़ती चिड़िया पहचान लेना – मनोगत भावों को जान लेना।
ऊँगली उठाना – आपेक्ष करना।
एक लाठी से सभी को हाँकना – अज्ञान भरा व्यवहार करना।
एक अनार सौ बीमार – वस्तु की पूर्ति कम और माँग अधिक होना।
एक म्यान में दो तलवार – एक ही स्थान पर दो समान अधिकारी नहीं रह सकते।
कंगाली में आटा गीला होना – मुसीबत पर मुसीबत पड़ना।
कंधा डाल देना – अस्त्र छोड़ देना या हार मान लेना।
कठपुतली की तरह नाचना – किसी से अपनी इच्छानुसार काम कराना।
कफन सिर से बाँधना – मरने के लिए तैयार रहना।
कब्र का मुँह झाँक आना – मरते मरते बच जाना।
कब्र में पाँव लटकना – मौत के करीब होना।
कमान से तीर निकल जाना – हानि हो चुकने पर बोध होना।
कलम तोड़ना – अद्भुत और हृदयस्पर्शी।
कलेजा छलनी कर देना – ताने मारना या व्यंग्य बाण छोड़ना।
कलेजा थाम कर रह जाना – असह्य वेदना चुपचाप सह लेना।
कलेजा निकाल कर रख देना – अत्यन्त प्रिय वस्तु का अर्पण कर देना।
कलेजा पत्थर का करना – भारी दुख सहने के लिए चित्त को दबाना।
कलेजे का टुकड़ा – प्रिय या आत्मीय (पुत्र)।
कलेले के टुकड़े होना – शोक से हृदय विदीर्ण होना।
कागज की नाव होना – क्षणभंगुर;
कागजी घोड़े दौड़ाना – अकारण ही लम्बी-चौड़ी लिखा-पढ़ी करना।
कान पर जूँ न रेंगना – किंचित् भी परवाह न करना।
खाक छानना – दर-दर भटकना।
खेत रहना – मारा जाना।
घुटने टेक देना – हार स्वीकार करना।
छप्पर फाड़कर देना – अचानक लाभ होना।
जमीन पर पैर न रखना – घमण्ड करना।
अंक/लगाना – गले लगाना, आलिंगन करना
अंग-अंग खिल उठना – प्रसन्न हो जाना
अंग-अंग फूले न समाना – बहुत आनंदित होना
अंग लगना – ताकत देना
अंगारों पर पैर रखना – जोखिम मोल लेना
अँगूठा दिखाना – समय पर इन्कार कर देना
अँगूठे पर मारना – परवाह न करना
अंजर-पंजर ढीला होना – अंग-अंग ढीला होना
अंडा फूट जाना – भेद खुल जाना
अंत बिगाड़ना – परिणाम खराब कर लेना
अँतड़ियाँ कुलबुलाना – बहुत भूख लगना
अंदर होना – जेल में बंद होना
अंधा बनाना – मूर्ख बनाकर धोखा देना
अंधे की लकड़ी/लाठी – एकमात्र सहारा
अंधेर नगरी – जहाँ धाँधली हो
अँधेरे घर का उजाला – इकलौता बेटा
अंधों में काना राजा – अयोग्य व्यक्तियों के बीच कम योग्य भी बहुत योग्य होता है
अक्ल के पीछे लट्ठ लिये फिरना – मूर्खता का काम करना
अगर-मगर करना – बहाना करना
अड़ियल टट्टू – हठी, जिद्दी
अड्डे पर चहकना – अपने घर पर रोब दिखाना
अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना – सब से अलग सोच-विचार रखना
अन्न जल उठ जाना – किसी जगह से चले जाना
अपना उल्लू सीधा करना – अपना मतलब निकालना
अपनी खाल में मस्त रहना –  अपनी दशा से संतुष्ट रहना
अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारना – अपना अहित करना
अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वावलंबी होना
अपने मुँह मियाँ मिट्ठु बनना – अपनी बड़ाई आप ही करना
अबे-तबे करना – आदर से न बोलना
आँख उठाकर न देखना – तिरस्कार करना
आँख का काँटा – शत्रु
आँख का काजल – अत्यंत प्रिय
आँख मारना – इशारा करना
आँख लगना – झपकी आना
आँखें चार होना – आमने-सामने होना
आँखें फेर लेना – प्रतिकूल होना
आँखों का काजल चुराना – गहरी चोरी कर लेना
आँखों का पानी ढलना – निर्लज्ज होना
आँखों पर चर्बी चढ़ना – अहंकार से ध्यान तक न देना
आँखों में गड़ जाना – पाने की इच्छा होना
आँखों में सरसों फूलना – विवेक न होना
आँच न आने देना – ज़रा सा भी कष्ट न होने देना
आँचल पसारना – याचना करना
आँधी के आम – सस्ती चीजें
आकाश कुसुम – अनहोनी बात
आकाश पाताल एक करना – कोई उपाय छोड़ न रखना
आग पर पानी डालना – झगड़ा मिटाना
आग बबूला होना – बहुत गुस्सा होना
आग लगने पर कुआँ खोदना – पहले से कोई उपाय न कर रखना
आगे का पैर पीछे पड़ना – किस्मत उलटी होना
आटे के साथ घुन पिसना – दोषी के साथ निर्दोष की भी हानि होना
आठ-आठ आँसू रोना – बहुत पछताना
आधा तीतर आधा बटेर – बेमेल काम
आवाज उठाना – विरोध प्रकट करना
आसमान के तारे तोड़ना – असंभव काम करना
आसमान पर चढ़ा देना – बहुत तारीफ़ करना
आसमान सिर पर उठाना – बहुत हो-हल्ला मचाना
आस्तीन का साँप – विश्वासघाती मित्र
इशारों पर नाचना – किसी की इच्छाओं का तुरंत पालन करना
ईंट का जवाब पत्थर से देना – किसी के आरोप का करारा जवाब देना
ईद का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखाई देना
 उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना – ज़रा सा सहारा मिलते ही कुछ और पाने की लालसा करना
 उड़ती चिड़िया पहचानना – मन की बात ताड़ जाना
 उधेड़-बुन में पड़ना/रहना – सोच-विचार करते रहना
उबल पड़ना – एकदम गुस्सा हो जाना
उल्टी गंगा बहाना – उलटा काम करना
उलटे छुरे से मूँड़ना – मूर्ख बनाकर ठग लेना
 ऊँट का सुई की नोक से निकलना – असंभव होना
एक घाट पानी पीना – एकता और सहनशीलता होना
एक ही थैली के चट्टे-बट्टे – एक जैसे चरित्र और विचार के लोग
एड़ी-चोटी का पसीना एक करना – घोर परिश्रम करना
ओढ़नी बदलना – पक्की सहेलियाँ बनना
कंधे से कंधा छिलना – भारी भीड़ होना
कच्चा चिट्ठा खोलना – सब भेद खोल देना
कच्ची गोली खेलना – अनुभवहीन होना
कढ़ी का सा उबाल – मामूली जोश
कन्नी काटना – कतरा कर निकल जाना
कलम तोड़ना – बढ़िया लिखना
कलेजा ठंडा होना – मन को शांति मिलना
कलेजा का टुकड़ा – बहुत प्यारा बेटा
कहा-सुनी होनी – झगड़ा होना
काँटे बिछाना – अड़चनें पैदा करना
काँटों पर घसीटना – संकट में डालना
कागजी घोड़े दौड़ाना – केवल लिखा-पढ़ी करते रहना
काजल की कोठरी – कलंक लगने का स्थान
काठ मार जाना – हतप्रभ हो जाना
कान गरम करना – पीटना
कान पर जूँ तक न रेंगना – कुछ भी परवाह न करना
कान में डाल देना – सुना देना
कान में तेल डाले बैठना – सुनकर भी ध्यान न देना
काफूर होना – गायब हो जाना
काल कवलित होना या काल के गाल में जाना – मर जाना
काला मुँह करना – बुरा करना
किताबी कीड़ा होना – केवल पढ़ने में लगे रहना
कीचड़ उछालना – निंदा करना
कुछ उठा न रखना – कोई कसर न छोड़ना
कुत्ते की मौत मरना – बुरी तरह से मरना
कोई दम भर का मेहमान होना – मरने के करीब होना
कोढ़ में खाज होना – दुःख पर और दुःख होना
कौड़ी-कौड़ी पर जान देना – कंजूस होना
खिचड़ी पकाना – अंदर-अंदर षड्यंत्र करना
खून का घूँट पीना – गुस्सा पचा जाना
खून खौलना/उबलना – जोश आना
खून सफ़ेद हो जाना – दया न रह जाना
गंगा नहाना – कठिन कार्य पूरा होना
गढ़ जीतना – बहुत कठिन काम करना
गले पड़ा ढोल बजाना – सिर पर पड़ी ज़िम्मेदारी को मजबूरन पूरा करना
गहरा हाथ मारना – बहुत कुछ हथिया लेना
गागर में सागर भरना – थोड़े में बहुत कुछ कहना
गाजर मूली समझना – तुच्छ समझना
गाल फुलाना – रूठना
गिरगिट की तरह रंग बदलना – एक रंग-ढंग न रखना
गुड़ गोबर कर देना – बना-बनाया काम बिगाड़ देना
गुल खिलाना – कोई बखेड़ा खड़ा करना
गूँगे का गुड़ होना – अनुभव को प्रकट न कर पाता
गूलर का फूल – दुर्लभ वस्तु
गोबर गणेश – बिलकुल बुद्धू
घड़ियाँ गिनना – बेचैनी से प्रतीक्षा करना
घर फूँक तमाशा देखना – अपनी हानि करके मौज उड़ाना
घर में गंगा बहना – अच्छी चीज पास ही में मिल जाना
घाव पर नमक छिड़कना – दुःखी को और दुःखी करना
घाव हरा करना – भूले हुए दुःख की याद दिलाना
घी के दिये जलना – आनंद मंगल होना
घोंघा बसंत – मूर्ख
चंडाल चौकड़ी – निकम्मे बदमाश लोग
चंडूखाने की गप मारना – पागलों की सी झूठी-मूठी बातें
चचा बनाकर छोड़ना – खूब मरम्मत करना
चाँद खुजलाना – पिटने को जी करना
चाँद पर थूकना – किसी अच्छे आदमी पर कलंक लगाना
चाँदी का जूता – घूस का धन
चार चाँद लगना – बहुत शोभा होना
चार दिन की चाँदनी – थोड़े दिनों का सुख
चिराग तले अँधेरा होना – अपने पास का वातावरण ठीक न होना
चींटी के पर निकलना – नष्ट होने के करीब होना
 चुल्लू भर पानी में डूब मरना – शर्म के मारे मुँह न दिखाना
चूना लगाना – धोखा देना
 चोटी का पसीना एड़ी तक आना – कड़ा परिश्रम करना
 चौदहवीं का चाँद – बहुत सुंदर
 छठी का दूध याद आना – संकट में पिछले सुख की याद आना
 छाती छलनी हो जाना – लगातार दुःख आते रहना
 छाती पर मूँग/कोदों दलना – बहुत नष्ट देना
 छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना
 जंगल में मंगल होना – उजाड़ में चहल-पहल होना
ज़मीन आसमान एक करना – सब उपाय कर डालना
जमीन पर पैर न रखना – अकड़कर चलना
जमीन में गड़ना – लज्जा से सिर नीचा होना
 ज़हर की पुड़िया – झगड़ालू औरत
जहाज़ का कौआ/पंछी – जिसका कोई और ठिकाना नहीं
जान हथेली पर रखना – प्राणों की परवाह न करना
जी का जंजाल – व्यर्थ का झंझट
जी खट्टा होना – विरति होना
जीती मक्खी निगलना – जानते हुए भी अशोभन कार्य करना
जूतियों में दाल बाँटना – लड़ाई झगड़ा हो जाना
टका-सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित हो जाना
टट्टी की आड़ में शिकार खेलना – छिपे-छिपे किसी के विरुद्ध कुछ करना
टाँग तले से निकालना – हार मनवाना
 टेढ़ी उँगली से घी निकालना – चालाकी से मतलब निकालना
 ठन ठन गोपाल – खोखला
डकार जाना – माल पचा जाना
 डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना – बहुमत से अलग रहना
डोरे डालना – प्रेम में फँसाना
ढाई दिन की बादशाहत – थोड़े दिन की मौज बहार
ढिंढोरा पीटना – सब को बताना
तलवा खुजलाना – यात्रा करने को होना
तार-तार होना – पूरी तरह फट जाना
तालू से जीभ न लगना – बोलते रहना
तूती बोलना – रोब जमना
तेली का बैल होना – हर समय काम में लगे रहना
थूक कर चाटना – वचन से फिरना
दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना – मामूली सी बात के लिए भारी दंड देना
दाँत तालू में जमना – बुरे दिन आ जाना
दाई से पेट छिपाना – जानकार से बात छिपाना
दिन को तारे दिखाई देना – अजीब हालत होना
दिन दूनी रात चौगुनी होना – बहुत जल्दी-जल्दी होना
दिल के फफीले तोड़ना – कुढ़कर जली कटी बातें कहना
दिल मसोसकर रह जाना – मन में खीझकर रह जाना
दूज का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखाई देना
दूध का दूध और पानी का पानी करना – उचित निर्णय करना
देवता कूच कर जाना –  घबरा जाना
 दो नावों पर पैर रखना – दोनों तरफ रहना
 धूप में बाल सफ़ेद करना – अनुभवहीन होना
नमक मिर्च लगाना – बढ़ा-चढ़ाकर कहना
नाक कटना – बदनामी होना
 नाक का बाल होना – बहुत प्यारा होना
 नाक भौं चढ़ाना – घृणा या असंतोष प्रकट करना
 नाक में नकेल डालना – वश में करना
 नाच नचाना – मनचाही करवाना
 नाव में धूल उड़ाना – व्यर्थ बदनाम करना
नीला-पीला होना – गुस्से होना
 पंजर पंजर ढीला होना – देखिए अंग अंग ढीला होना
 पटरी बैठना – मन मिलना, अच्छे संबंध होना
पत्थर की लकीर होना – बात पक्का होना
पर न मारना – पहुँच न सकता
पलक पाँवड़े बिछाना – आदर से स्वागत करना
पसीना पसीना होना – बहुत थक जाना
पहाड़ टूट पड़ना – भारी विपत्ति आ जाना
पहाड़ से टक्कर लेना – बहुत भारी आदमी से मुकाबला करना
पाँव उखड़ना – हार कर भाग जाना
पानी का बुलबुला होना  – क्षणभंगुर होना
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